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श्रावक भीमसिंह माणेक. ग्रंथोना ठेकाणे ठेकाणे घणाएकश्लोको दाखल कीधा छे. तेमज मिथ्यात्वी लोकोनां होरी प्रमुख अनेक पर्वोथी उपजता दोष पण देखाडया छे..आ ग्रंथ वांचनारा सज्जनोने व्रत लेवानी तथा लीधेला व्रतने अतिचाररहित पाळवानी पुष्टी करवानी साथे विचीत्र मकारना नवनवा रसने उत्पन्न करनारी तथा पूर्वे थइ गएला राजाओ अने व्यापारीओनी चाल चलगत दर्शावनारी होवाथी अत्यंत आनंदनी साथे चमकार उपजावे एवी मोटी तथा नानी रसिक कथाओ हित श्रावक प्रतिक्रमणसुत्र अथवा वंदितासुत्र अपरनाम अर्थदिपका ग्रंथ मुल तथा बालावबोध सहित छ. आ ग्रंथ वाचवाथी धर्मपुष्टि थवानी साथे बुद्धिनो
विस्तार पण बहुन थशे. १३६ जनकथारत्नकोष भाग पांचमो-शीलक नथी १३७जनकथारत्नकोष भाग छठो-आ ग्रंथमां श्री
गौतमस्वामिकृत गौतमकुलक तथा श्री पद्मविनयजो कृत १११) कथाओ युक्त बालावबोध सहित. आ ग्रंथ २० ) गाथानो बनेलो छे. तेदरेक गाथाना चार पद पंकी दरेक पदमां जुदा जुदा उपदशो होबाथी ८० उपदशी छे तेनी अंदर शुद्ध नीति बहुज सुदर आका
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