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श्रावक भीमसिंह माणेक. - अडतालीश प्रश्नो पूछेल, तेना जवाबमां श्रीमहावीर
स्वामिए शुभाशुभ कर्मोनां फळ टातिक रसिक कथाओ सहित कही बताव्यां छे. ते ग्रंथ मुल, बालाकबोध अने कथाओ सहित छ. तथा श्री हेमचंद्राचार्य कृत वितरागम्तोत्र मुल तथा अर्थ सहित. आ ग्रंथ जिन भक्तिना अनुरागी सज्जनोने खास कंठे करवा लायक छ. ए त्रण ग्रंथ साथे छे.
२-८-. १३३ जनकथारलकोष भाग बीजो-एमां पंडित
श्री पद्मविजयजी विरचित श्री नेमीश्वर भगवाननो - रास छे. ( छपाय छे.) १३४ जनैकथारत्नकोष भाग त्रोजो-एमां पंडित ध
ममंदिर कृत मोविवेकनो रास तथा उपमतिभवप्रपंच .. आश्रयी धर्मनाथजीने विनतिरुप स्तवन तथा सम्यक्त्व
सित्तरी अथवा दर्शनसित्तरी कथाओ सहित. एमां समकितनां सडसठ बोलतुं स्वरूप प्राभाविक पुरुषोनी कथाओ सहित छे.
२-८-० १३५ जैनकथारत्नकोष भाग चोथो (कर्ता आचार्य * श्रीरत्नशेखरसूरि)-आ पुस्तकमां श्रावकना अतिचारोनुं
निरूपण करतां ग्रंथकर्ताए अन्यदर्शनीओने बोध पमा. - डयामाटे घणा स्थळे अनेकविषयोनां उदाहरणमा तेमना..
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