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________________ W aras भीमसिंह माणेक. २-० स्वरुपख बीजी पण केटलीएक उपयोगी अनेक वातो दशावेली छे. ९८ वी शस्थान कनो रास - आ ग्रंथमां रहेली अभूत कविता तथा उपदेशनो रहस्य छे. आमां दरेक स्थाननुं स्वरूप आबेहुब वणवेलुं छे. तथा ते दरेक स्थाकधी जे जे माणसाने तिर्थकरपदवी मळेली छे तेभोनी कथा पण घणा विस्तारथी रस उपजावे एसी छे. आ वीशस्थानकमांथी एक स्थान - कनुं पग संपूर्ण रीते अने शुद्धभावथी आराधन करवाथी परम पुरुषार्थ जे मोक्ष तेनुं साधन करी शकाय छे. माटे सर्व जैनीभाइ ओ आ ग्रंथ वांचीने सांभळीने मोल मेळावामां प्रयत्न करशो. ९९ धर्मपरिश्रानो रास आ ग्रंथमां मनोवेग नामना सुश्रावक विद्याधर राजाए पोताना पवनवेग नामना मिथ्यात्वीभित्र जैनधर्ममां दृढ करवाने अर्थे पूछेला प्रश्नना प्रत्युतरम परमात्माए जणाव्या मुजब अन्यवेषे अपूर्व तार्किक द्रष्टांतो देई तेओने तेमनाज पुराणादिक ग्रंथोने आधारे ब्रह्मा, विष्णुं, शिव, इंद्र, चंद्र, सूर्य, यम, बरुण, कुबेर, तेमज राम, रावण, विगेरे विगेरे महात्माओनां तेमनां वर्णवेलां कृत्यादिकनी साथै सर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only २-० www.jainelibrary.org 1
SR No.018053
Book TitleShreeyakmuni Kayvanna Sumati ane Kumati Mitroni Katha ane Jain Dharmna Pustakonu Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages300
LanguageGujarati
ClassificationCatalogue
File Size10 MB
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