SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रावक भीमसिंह माणेक. चोपाइ प्रमुख, बीजा पण वांचनारने सद्बोधे एवा अनेक जातीना छंदो आवेला छे. तथा पद्मिनी आदिक चार जातिनी स्त्रीयोनां लक्षण, सामुद्रिक शास्त्रने अनुसारे स्त्रीयोनां शुभाशुभ लक्षण, नायकादी जातीनां लक्षण, पुरुषनी बोंतरे कळानां नाम, महीलानी :: चोसठ कळानां नाम, तथा केटलीएक जाणवायोग्य - गूढार्थ समश्या विगेरे चमत्कारीक बाबतोनो विस्तार . करेला छे. तेमज देवद्रव्य भक्षणाश्रित संकाशनी कथा तथा सागर शेठनी कथा. तथा साधारणद्रव्य अने ज्ञानद्रव्य भक्षणाशित कर्मसार अने पुण्यसारनी कथाओ आवेली छे. जे वांचवाथी देवादिकन द्रव्य भक्षण करवाथी निपजता कटुकविपाकनुं जाणपणुं थाय छे, अने भव्यजनोने तेवा अशुभ निमित्तोथी विरमवाना परिणाम थाय छे. वळी विंशपेकरी शल्योद्धारण न करनारा एका दांभिकजनोने शिखामण अपाय ते आश्रयी रुपी साध्वी तथा सूसढ साधु अने . लख्खगा साध्वीनी कथाओ सविस्तर देखाडी छे. तेमज आलोचना लेनारा अने आलोचना आपनारा गुरुना गुण- वर्णन करेलुंछे तथा आलोचना लीपाथी , फेटला गुण उपजे ते तथा दश प्रकारना प्रायश्चितादिमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018053
Book TitleShreeyakmuni Kayvanna Sumati ane Kumati Mitroni Katha ane Jain Dharmna Pustakonu Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages300
LanguageGujarati
ClassificationCatalogue
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy