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श्रारक भीमसिंह माणेक. ९० श्री अरिहंतादिक पांचपदनी आनुपूर्वी (कालो रंग) । - सुंदर चित्रो सहित. ९१ श्री अरिहंतादिक नवपदनी आनुपूर्वी (लालरंग)
सुंदर चित्रो सहित. ९२ श्री समकितमूल बारखननी टीप नानी. -- ९३ काळज्ञान बालादबोध सहित. (वैद्यक ग्रंथ.) •-६-: पद्यबंध चरित्रो (रास)नी यादी.
९४ श्री चंदगजानो राम-पंडित श्री मोहनविजयनी विरचित चार खंडना अर्थ अने (१२५) रंगीन चित्रो
सहित )-आ ग्रंथमां शियल महात्मय तथा कर्मना : चित्र विचित्र स्वरूप प्रदर्शक पद्यात्मक चरित्र. आ
- रासमां ब्रह्मचर्य व्रतनी अनुपम पुष्टि छे. ९५श्री समरादित्य केवलीनो रास. (मुनि श्री पद्म
विजयजी माहाराजनो करलो)-जो वैराग्यदर्शक गंथ
वांचवो होय तो आ एकन ग्रंथ वांचो. जेमां समरा...दित्य केवलीना सत्तर भवतुं वैराग्य उत्पन्न करनाएं। .. रसिक चरित्र छे. ( आत्ति बीजी.)
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