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________________ श्रावक भीमसिंह माणेक. तेमज अहोतरी अने जयह जगजीवजोणी ए वे महोटी सज्झायो इत्यादि सर्व ग्रंथ अर्थसहित छाप्या छे. तेनी साथै गौतमस्वामिनो रास, स्तवन, सज्झायो, पट्टावली, आदिक अनेक ग्रंथो छे. ४४ अचलगच्छनां पंच प्रतिक्रमणसूत्र मुल पाठे छे. ० -१२-० ४५ पंच प्रतिक्रमण पख्खीसूत्र विधिसहित - इसमें ३-८-० खरतरगच्छ, तपगच्छ दोनुंकी जूदी जूदी विधिसहित छे. २-४-० ४६ खरतरगच्छनां पंच प्रतिक्रमणसूत्र मूलपाठे १-०-० ४७ पथी श्रावकोका सामायक पडिक्कमण अर्थ सहित. ४८ तेरापथी कृत देवगुरु धर्मनी ओळखाण. ४९ सामायिक प्रतिक्रमणादिसूत्र ( स्थानकवासी ) ५० विविध पूजासंग्रह भाग १ लो - एमां पंडित श्री वीरविजयजी तथा अन्य पंडितोनी करेली जुदी जूदी अढार पूजाआ तथा ते सर्व पूजाओने भणाववानो विधि तथा दादा साहेबनी पूजा अने सुंदर रंगीन चित्रोसहित. (आवृत्ति सातमी. ) ५१ विविध पूजा संग्रह भाग २ जो- एमां श्री देवचंद्रजी, आत्मारामजी आदि महापुरुषोए रचेली पूजा ४४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only १-४-० १-०-० ०-२-० १-८-६ www.jainelibrary.org
SR No.018053
Book TitleShreeyakmuni Kayvanna Sumati ane Kumati Mitroni Katha ane Jain Dharmna Pustakonu Suchipatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages300
LanguageGujarati
ClassificationCatalogue
File Size10 MB
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