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श्रावक भीमसिंह माणेक. उपाध्याय कृत.)-आ ग्रंथ एटलो तो रशीक तथा जैनवर्गना श्रावको अने साधु साध्विओन माटे उप्योगी छ के ते ग्रंथ सर्वेने आदिथी ते अंत सुधी वाचवा भलामण करीए छीए. आ ग्रंथनी रचनाकाव्यरुपे गुंथेली छे अने तेमां जीवने संसारभ्रमणथी केवी केवी विटंबनाओ भागवळ पडे छे तेनो कथाओ द्वाराए आबेहुब चितार आप्यो छे. तेम आ ग्रंथ रसिक बनाववा माटे साहित्यनो सार लइ तेमां रसालंकारोने पण घणीज उत्तमरीतीथी प्रदर्शित करेला छे. आ ग्रंथ भणवाथी काव्योनो बोध थवा साथे जैनदर्शनना तत्वोनो घणोज बोध थाय छ, एटलंज नही पण आ ग्रंथना अभ्यासथी अमारा स्वधर्मी बंधुओने भवनाटकनुं स्वरुप केबु छे तेना खरे. खर ख्याल थाय छे. वळी आ ग्रंथ मुनिराजो आदिकने व्याख्यानमां उप्योगी थइ पडे तेवो छे, माटे रेक जैनबंधुओ आ ग्रंथनो लाभ ले शो. (पाना
आकारे.) १४ श्री वर्द्धमानदेशना भाषांन्तर-(पाना आ
कारे.)-आ पुस्तकमां आणंद, कामदेव, चुलनीपिता, सूरादेव, चुलगशतक, कुंडकोलिक, सद्दालपुत्र, महा
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