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श्रावक भीमसिंह माणेक. शुद्ध ज्ञान दर्शन चारित्ररुप सनातन धर्मनी उत्दृढता
उत्पन्न थाय छे. २० पांडव चरित्र-(श्री पांच पांडव तथा नेमिश्वर
भगवान अने श्री कृष्णादिकनुं सविस्तर गुजराती भाषांन्तर.)-आ ग्रंथमा श्री नेमिश्वर भगवान, बळभद्र, वासुदेव जे श्रीकृष्ण, प्रतिविष्णु जे जरासंघ, पांडव, कौरव, भीष्मपितामह, कर्ण, द्रोगाचार्य अने कृपाचार्यादिक अनेक वीर पुरुषोनां चरित्रो आवी गयेला छे तेमन जिनधर्माभिलापी शुद्ध श्रद्धावान सम्यकद्रष्टी विवेकी सजनोना मनने आनंद उत्पन्न करनारी कथामो वैशग्य नीति तथा सत्य प्रतिज्ञा प्रमुखनो बोध करे छे. . ग्रंथ पहेला गुजराती अक्ष. रोमां छपायेलो हतो, ते खपी जवाथी हमणां शास्त्री अक्षरमां छपाच्यो छे, अन तेनी साथे मन रंजन करे
तेवां संगीन आशरे १०० चित्रो पण नांख्यां छे. ५-०-० ११ जैन रामायण याने रामचरित्र अनेक चित्रो
___ सहित.
१२ योगशास्त्र श्री हेमचंद्राचार्यजी कृत मूल तथा : टीकाना वालावबोध तथा कथाओ सहित छे. . ३-४-० -१३ वैराग्यकल्पलता पूर्वार्ध-( श्री यशोविजयी
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