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श्रावक भीमसिंह माणेक. पण एनो विषय अध्यात्मिक होवाथी सर्वने उपयोगी छे. .
२--- ६ प्रकरणरत्नाकर भाग त्रीजो-हाल शीलकमां
नथी. अमुक वखत पछी छपाशे. ७ प्रकरणरत्नाकर भाग चोथो. (त्रीजी आवृत्ति)
आ ग्रंथमां इंद्रियपराज्य शतक बालाबबोध सहित, तथा संग्रहणीसूत्र बालावबोध सहित, तथा लघुक्षेत्रसमाज तथा छए कर्मग्रंथ बालावबोध सहित सरस उंचा कागळमां मोटा सरस टाइपमा छ.पी छे.. जैनतत्त्वादर्श ग्रंथ (महा मुनि श्री आत्मारामजी महाराज विरचित हिंदुस्थानी शुद्ध भाषान्तर)इसमें जुदा जुदा बार परिच्छेद (खंड) है. उसमें शुद्ध देवतत्वका स्वरुप कथन कीया है. २ कुदेवका स्वरुप वर्णन कीया है. ३ शुद्ध गुरु तत्वका स्वरुप ४ कुगुरुका स्वरुप कथन कीया है. ५ शुद्ध धर्मतत्वका स्वरुप नवतत्व रुपसें कथन कीया है. ६ सम्यक ज्ञानका स्वरूप कथन करके वास्ते चौदै गुणस्थानकोके स्वरुप कथन कीया है. ७ सम्यक दर्शनका स्वरुप. कथन करा है. ८ सम्यक् चारित्र के स्वरुप संबंधी श्रावकोका बार व्रतोका स्वरुप विस्तार
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