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श्रावक भीमसिंह माणेक.
मिस्तोत्र, (१३) हेमचन्दाचार्यविरचित अन्ययोगव्यवच्छेदिकाद्वात्रशिकाख्य महावीरस्वामिस्तोत्र, ( १४ ) हेमचन्द्राचार्यविरचित अयोगव्यवच्छेदिकाद्वात्रिंशिकाख्यमहावीरस्वामिस्तोत्र, (१५) जिनप्रभसूरिविरचित पार्श्वनाथस्तव, (१६) जिनप्रभसूरिविरचित गौतमस्तोत्र, (१७) जिनप्रभाचार्यविरचित श्रोवीरस्तव, (१८) जिनप्रभसूरिविरचितचतुर्विंशतिजिनस्तव, ( १९ ) जिनमभसूरिविरचित पार्श्वस्तव, (२०) जिनप्रभसूरिविरचित श्रीवीर निर्वाणकल्याणस्तव, (२१) विमलप्रणीत प्रश्नोत्तररत्नमाला, (२२) धनपालप्रणीत ऋषभपश्चाशिका, (२३) शोभनमुनिप्रणीत चतुर्विंशतिजिनस्तुति (सटिप्पणी ), इतकीं काव्ये आली आहेत. १-०-० १७३ जैनसम्प्रदाय शिक्षा - (श्वेतांम्बर धर्मोपदेशक यति
श्री श्रीपालचन्द रचित. ) - इस महत्व के ग्रंथमें स्त्री पुरुषों का धर्म, पति पत्नी संबंध, पाणिग्रहण, रजोदर्शन, गर्भाधान, गर्भावस्थासे ले कर जन्म, कुमार, युवा और वृावस्था तक्की कर्त्तव्य शिक्षायें, आरोग्यरक्षा, ऋतुचर्या, रोगनिदान, पूर्वरूप, उपशम, डाक्तरी और देशी रीतिसें रोगोंकी परिक्षा, चिकित्सा, पथ्यापथ्य, दुग्ध, घृत, तैल, दधि, तक्र, फल, तरकारी, कन्द,
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