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श्रावक भीमसिंह माणेक. १७१त्रयोदश गुच्छक-यांत (१) श्रीमद्रामभद्रदीक्षित
विरचित वर्णमालास्तोत्र, (२) श्रीमद्वादिचन्द्रनिर्मित पवनदूतकाव्य, (३) पण्डरीविहलाख्यकविविरचित दूतीकर्मप्रकाश, (४) श्रीधनदराजकविविरचित शतकप्रयम् १ शृङ्गारधनदम् २ नीतिघनदम् ३ वैराग्यधन दम, (५) गिरिधरविरचित गञ्जीफाखेलन, (६) सैलाबजनाथविरचित मनोदूत (सहृदयहृदयालादनापरनामक) (सटीक), (७) गोस्वामिजनार्दनभट्टप्रणीत पैराग्यशतक, (८) बिहणकविविरचित विणकाव्य,
इत्यादि.
१७२ सप्तम गुच्छक-यांत (१) मानतुङ्गाचार्यविरचित
भक्तामरस्तोत्र, (२) सिद्धसेनदिवाकरमणीत कल्याणमन्दिरस्तोत्र, (३) वादिराजप्रणीत एकीभावस्तोत्र,(४) धनंजयमणीत विषापहारस्तोत्र, (५) भूपालकविप्रणीत जिनचतर्विशतिका, (६) देवनन्दिप्रणीत सिद्धिमियस्तोत्र, ७) सोमप्रभाचार्यविरचित सूक्तिमुक्तावलि,(८) जम्बूगुरुविरचित जिनशतक, (९) पद्मानन्दकविपणात पैराग्यशतक, (१०)जिनप्रभसूरिविरचित सिद्धान्तागमस्तव ( सावचूरि ), () आत्मनिन्दाष्टक, (१२) जिनवल्लभसूरिविरचित समसंस्कृतप्राकृतमहावीरस्था
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