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________________ पूर्वप्रकाशित सूचिपत्रनुं निवेदन शान्तमूर्ति समस्वभावी परम पूज्य प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजी महाराज, वृद्धावस्था अने नादुरस्त तबियतने कारणे, एमना संयमजीवननां छेल्लां वर्षों दरम्यान पाटणमा रह्या एने लीधे तेओना विद्वान शिष्य अप्रमत्त शास्त्रसेवी परम पूज्य मुनिराज श्री चतरविजयजी महाराज अने तेओश्रीना शिष्य आजीवन ज्ञानोपासक अने ज्ञानोद्धारक आगमप्रभाकर श्रुत-शीलवारिधि पूज्यपाद मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजी महाराज पण पाटणमां सतत रहेवानुं थयु. एने लीधे पाटणने तो अनेक प्रकारनो लाभ थयो ज हतो: उपरांत. श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरनी स्थापनारूपे समस्त ज्ञानोपासक क्षेत्रने पण घणो मोटो लाभ थयो हतो. आ त्रणे मुनिवरोने एक बाजु पाटणना भण्डारोमा रहेली ज्ञानसमृद्धिनो पूरो ख्याल हतो, अने बीजी बाजु ए भण्डारो लांबा वखत सुधी सारी रीते सचवाई रहे अने एनो उपयोग विद्वानो सहेलाईथी करी शके एवी व्यवस्था करवानी पण खूब चिंता हती. आवी स्थितिमा एक वखत नवयुगद्रष्टा अने समाजउत्कर्षना प्रखर हिमायती परम पूज्य आचार्य महाराज श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराज पाटण पधार थयु, आ अवसरनो लाभ लईने, परम पूज्य प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजी महाराजे आचार्य महाराजनी हाजरीमा, पाटणना भण्डारोने सुरक्षित अने सुव्यवस्थित बनाववानी जरूर तरफ पाटणना श्रीसंघर्नु ध्यान दोर्यु. परिणामे परम पूज्य आचार्य श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजनी प्रेरणा अने त्रणे पूज्य मुनिवरोना अविरत पुरुषार्थथी वि. सं. १९९५नी सालमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरनी स्थापना थई. आज पाटण शहरमां नीचे मुजब १९ ज्ञानभण्डारो छे, ते आ प्रमाणे - १. श्रीसंघ जैन ज्ञानभण्डार अदवसीपाडा जैन ज्ञानभण्डार २. लींबडीपाडा जैन ज्ञानभण्डार १२. श्री माणिक्यसिंहसरि जैन ज्ञानभण्डार ३. शुभवीर जैन ज्ञानभण्डार १३. खरतराचार्य श्री वृद्धिचन्द्रजी जैन ज्ञानभण्डार ४. वाडीपार्श्व जैन ज्ञानभण्डार १४. तपगच्छ जैन ज्ञानभण्डार ५ सागरगच्छ जैन ज्ञानभण्डार विजयवल्लभसूरि जैन ज्ञानभण्डार ६. मोदी जैन ज्ञानभण्डार १६. पूर्णिमागच्छ जैन ज्ञानभण्डार ७. लहेरू वकील जैन ज्ञानभण्डार १७. संघवीपाडा जैन ज्ञानभण्डार ८. प्रवर्तक कान्तिविजयजी जैन ज्ञानभण्डार १८. खेतरवसीपाडा जैन ज्ञानभण्डार ९. यति श्री हिम्मतविजयजी जैन ज्ञानभण्डार १९. भाभापाडा विमलगच्छ जैन ज्ञानभण्डार १०. श्रीसंघ जैन ज्ञानभण्डार (कच्छ देशमाथी खरीदेलो) आ.१९ ज्ञानभण्डारो पैकी पाटणनो सुविख्यात संघवीपाडा जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक १७) अने खेतरवसीपाडा जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक १८)- आ बे ताडपत्रीय ग्रन्थोना प्राचीनतम भण्डारो तेमज भाभापाडा विमलगच्छ जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक १९) जेमा कागळ उपर लखायेला प्राचीन ग्रन्थो छे, एम त्रण भण्डार आज पर्यन्त ज्ञानमन्दिरमां अर्पित थया नथी. शेष १६ भण्डार श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा संपूर्ण सुरक्षित अने सुव्यवस्थित रीते मूकवामां आव्या छे. अने ए बधानी विगतवार यादीओ तैयार करवामां आवी छे. उपर जणावेला १६ भण्डारो पैकी शुभवीर जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक ३) अने खरतराचार्य श्री वृद्धिचन्द्रजी जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक १३) - आ बे भण्डार पूज्यपाद आगमप्रभाकर मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी अनुक्रमे अमदावाद अने जेसलमेरथी श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरने अर्पित थया छे. तेम ज विजयवल्लभसूरि जैन ज्ञानभण्डार (क्रमांक १५) आचार्य श्री विजयवल्लभसूरिजी महाराजनी प्रेरणाथी पंजाबमांथी आवेलो छे. श्रीसंघ जैन ज्ञानभण्डार-कच्छ देशमाथी खरीदेलो (क्रमांक १०) ते पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीनी प्रेरणाथी पाटणना श्रीसंघे खरीदीने ज्ञानमन्दिरमा मूक्यो छे. क्रमांक १२वाळो भण्डार तो आ श्री विजयमाणिक्यसूरिजीनां केवल ६६ हस्तलिखित पुस्तकोरूपे भेट आव्यो छे, तेने स्वतंत्र ज्ञानभण्डार कही शकाय नहीं. आ रीते, प्रस्तुत ज्ञानमन्दिरमा रहेला कुल १६ भण्डारोमाथी ११ भण्डार पाटणमा प्राचीन समयथी सचवायेला भण्डारो छे. स्व. पूज्यपाद आगमप्रभाकर श्री पुण्यविजयजी महाराजनी भावना हमेशा एवी रहेती के कोई पण ज्ञानभण्डारमांनी सामग्री संबंधी माहिती विद्वानोने सहेलाईथी मळी रहेवी जोईए, तेथी ज तेओश्रीना पोताना तेम ज तेओना गुरुश्री अने दादागुरुश्रीना हाथे लींबडी, वडोदरा, छाणी, पाटण, जेसलमेर अने खंभातना ज्ञानभण्डारोनो उद्धार थयो छे. आ ज्ञानभण्डारोनां संपूर्ण सूचिपत्रो पण तेओए बनाव्यां छे. जेमांथी १ लींबडी, २ खंभात अने ३ जेसलमेरना भण्डारोनां सूचिपत्र आज पहेलां छपायां छे, जे अनुक्रमे १ आगमोदय समिति-सुरत, २ प्राच्यविद्यामन्दिर-वडोदरा अने ३ लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर-अमदावाद तरफथी प्रकाशित थयां छे. आ ज रीते पाटणना श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमांना भण्डारोमा संग्रहायेली सामग्री संबंधी माहिती विद्वानोने मळी शके एटला माटे ज्ञानमन्दिरमांना बधा भण्डारोमांनी कागळ उपर लखायेली हस्तप्रतोनी सूची महाराजश्रीए पोते ज तैयार करी हती. श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिरमा कागळ उपर लखायेली कुल १९७७० हस्तप्रतो छे, अने ताडपत्रनी १५९ हस्तप्रतो छे. आमांथी ताडपत्रीय प्रतोनी माहिती तो स्वर्गस्थ स्वनामधन्य श्री चीमनलाल डाह्याभाई दलाले संपादित करेल ' पत्तनस्थ-प्राच्यजैनभाण्डागारीयग्रन्थसूची, प्रथम भाग' नामे गायकवाड्स ओरीयेन्टल सिरीझमा ७६मा ग्रन्थरूपे सने १९३७मा प्रगट थई चूकी छे, एटले कागळनी हस्तप्रतोनी - - Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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