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________________ आ तो मात्र अकस्मात् अमारी नजरे चडेलां थोडां उदाहरणोज आप्यां छे. जो झीणवटथी निरीक्षण करवामां आवे तो हजारो सुंदर शुद्ध पाठो पाटणना हस्तलिखित ग्रंथोमा मळवानो पूरेपूरो संभव छे. आ उपरांत पण, सूचिपत्रमा नहि नोंधायेला हजु केटलांये पानां श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा छे के जेमांथी हजु पण नाना-मोटा एक-बे हजार ग्रंथो बनी शके तेम छे. आवां पानां बहु प्राचीन नथी, प्रायः सो-बसो-चारसो वर्ष जेटलां ज जुना छे एम मने कहेवामां आव्युं छे. श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा सूचिपत्रमा नोंधायेला कागळ उपर लखेला ग्रंथांकोमा १४७८९ ग्रंथांकोनी सूचि श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर तरफथी पाटण-श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरस्थित ज्ञानभंडारोनुं सूचिपत्र प्रथम भाग पत्र (१थी ६३१) ए रूपे विक्रम संवत् २०२८ (इसवीय सन १९७२) मा प्रकाशित थई छे. एमां क्रमाङ्क, पुस्तकनुं नाम, पत्रसंख्या, भाषा, कर्ता, श्लोकसंख्या, रचनासंवत्, लेखनसंवत्, स्थिति (जीर्ण, उत्तम विगेरे), लम्बाई-पहोळाई, एम दश विगतो दरेक ग्रंथनी यथाशक्य आपेली छे. ते उपरांत पादटिप्पणी (Foot-notes) मां ते ते ग्रंथनी बीजी पण घणी घणी माहिती (Remarks) आपेली छे. सूचिपत्रनो आ प्रथम भाग प्रकाशित थया पछी, लगभग वीस वर्ष वीती जवा छतां बाकीना १४७९०थी २००३५ सुधीना ग्रंथोनी सूचि प्रकाशित थई नथी. तेमां १९७०६ ग्रंथांक सुधीनी पू.आ.प्र. श्री पुण्यविजयजी महाराजे करावेली सूचि तो तैयार ज हती. विक्रम संवत् २०४५मा पाटणथी उत्तरे १० किलोमीटरे रहेला चारुप तीर्थमा अमारुं चातुर्मास थयुं त्यारे पू.आ.प्र. मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजना शिष्य समान लक्ष्मणभाई हीराभाई भोजक बाकीना ग्रंथोना सूचिपत्रनु पोटलुं लईने मारी पासे आव्या अने मने कह्यु के आनो उद्धार करवो अत्यंत जरूरी छे. सूचिपत्र थयांने लगभग त्रीस वर्ष थई गयां हतां. कागळो पण जीर्ण थई गया हता. एटले एनी झेरोक्ष कोपी अमे पहेला करावी लीधी. पू. मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजे तैयार करेलु कार्य अत्यन्त उपयोगी समजीने अमारा बीजां संशोधन कार्यो स्थगित करीने, श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा रहेला बाकीना २००३५ ग्रंथांको सुधीना सूचिपत्रने तेमज पाटणमा रहेला बीजा पण कागळ उपर तेमज ताडपत्र उपर लखेला बधा ज ग्रंथोना सूचिपत्रोने छपावीने प्रकाशित करवानें काम परमात्मा तथा गुरुदेवनी कृपाथी अमे हाथमां लीधुं. प्रकाशन माटे आर्थिक व्यवस्था तथा मुद्रणव्यवस्था करवी जरुरी हती. टाईपोथी कंपोझ करीने प्रेसमां छापतां वर्षोनां वर्षों नीकळी जाय तेम हतुं, तेथी कोम्प्युटर द्वारा छापवानुं विचार्यु के जेथी जल्दी तैयार थई जाय. कोम्प्युटरथी छापवानुं काम अमारा माटे तद्दन नवी वात हती. योग्य संस्कृत टाईपोवाळा कोम्प्युटरो, योग्य काम करनाराओ (ओपरेटरो) विगेरेनी तपास करता करता अने कार्यने बरोबर गोठवतां गोठवतां अमने लगभग बे वर्ष वीती गयां. कोम्प्युटरथी काम घणी झडपथी थाय छे, ए वात साची. छतां एनी पण यांत्रिक (Technical) समस्याओ घणी घणी होय छे. घणी घणी समस्याओ आवी, पण परमात्मा तथा गुरुदेवनी परम कृपाथी, ते बधामांथी पार उतरीने श्रुतज्ञानरसिक जगत समक्ष अणहिलपाटक(पाटण) नगरस्थजैनग्रन्थभाण्डागारान्तर्गतानां हस्तलिखितग्रन्थानां सूचिः (पाटणमां जैन ग्रंथभंडारोमा रहेला हस्तलिखित ग्रन्थोनी सूचि)ने ३ पुस्तकोमा (3 Volumes) अने ४ भागोमां (Pan I-IV) अमे रजु करी रह्या छीए, आनी विगत आ प्रमाणे छे प्रथम पुस्तक (Volume-1) मां ज प्रथम-द्वितीय बे भागो आपेला छे. श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर तरफथी २० वर्ष पूर्वे प्रकाशित थयेला प्रथम भागमा जे दश विगतो साथे १थी १४७८९ ग्रंथांकोनी सूचि छपायेली छे तेमाथी क्रमाङ्क, पुस्तकनुं नाम, पत्रसंख्या, भाषा, कर्ता, आटली पांच विगतो साथे ज १४७८९ ग्रंथोनी सूचि अहीं पण प्रथम भागमा आपेली छे. १थी १०७८९ ग्रंथांको सुधीनी दशे दश विगतो तथा केटलाक ते ते ग्रंथो विषेनी विशेषता जणावती नोंधो (पादटिप्पणो Foot-notes, Remarks) जेमणे जाणवी होय तेमणे श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर तरफथी लगभग वीस वर्ष पूर्वे प्रकाशित थयेलो आ सूचिपत्रनो प्रथम भाः' मेळवीने ज जोई लेवो. पाटणना श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा तथा अमदावादना लालभाई दलपतभाई संस्कृति वि. मंदिरमा (नवरंगपुरा, अमदावाद Pin ३८०००९) हजु पण जोईए तेटली नकलो लगभग रु. पचासनी किंमते मळी शके छे. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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