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578.]
Supplement
चामुंडाचेलो अतिअलबेलो चाचरपीट्ट चळंदा है। चोस (ट्ठि) चरिताली मदमतवाली योगणिरूप जगंदा है
होमे विकुंडी मरडे मुंडी ज्वाला अगन जलंदा है । सी पंचामृत डोरासुं घृत दारू धार दीयंदा है । २ । etc.
Ends. -- fol. 37
दारिमले दाषां ने भाषां फलि हल फल ढोयंदा है गोहूं दागोला बाकस बामल्लीदाम सलंदा है। सेवाडी यांने वधते वाने दरगाहीयौं दीपंदा है।
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गुणकहितां गोरा ! नावै तोरा पार न को पावंदा है २५ सिधिक सोइ हरषित होई ध्यांन प ( ख ) रो धरंदा है बीए स्मरव सात सगली वातां हाजर ही होअंदा है सेवक साधारै दुख निवारे दोलिति तेणि दीयंदा है निरूपम नीसाणी अक्खर आंणी कवि वृद्धमांन कहंदा है २६
ति गोरात्र पालनी साणी संपूर्णः ॥
चतुष्षष्टियोगिनीमण्डलस्तुति (चउस जोगिणीमण्डलथुइ ) [ चतुःषष्टियोगिनीयन्त्र (सट्टिजोगिणीजन्त ) ]
No. 578-158 (a)
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10
Catussastiyogini-15 mandalastuti
( Cauūsatthijoginimandalathuī ) [Catuḥṣastiyoginiyantra
( Causatthijoginijanta ) ] 20
685 (a).
1892-95.
Size - 10 in. by 44 in.
Extent. - 1 folio ; 25 lines to a page ; 60 to 66 letters to a line. Description.- Country paper white and durable; Devanagari chara- 25 cters; legible hand-writting; the ist fol numbered as usual ; condition good ; complete 15 verses in all. This Ms. contains two additional works. They are as under :(1 ) चतुःषष्टियोगिनी मन्त्रस्तोत्र v. 1 - 13, No. 577. ( 2 ) चतुःषष्टियोगिनीस्तुति No. 578.1
1 The name of all these three works as recorded in the Catalogue is षष्टियोगिनी स्तुति.
चतुः
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