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Jaina Literature and Philosophy
Correct
- दिव्यप्रभा
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Line
30 . 4
4
तृणां
पंचम्यां
Incorrect ० वृणां । पंचम्यां मन्मघ(ध) भीमातस्य तस्पा तेलफ
394
मन्मघ(थ)
भीमः तस्य
394 .20 394 ा 3955
तस्याः तेलक
399
406
जिनवर्धमान
जणने
406 406
19 22
लषि
406
408
१
जिनवधमान जनणे लपि वेछिनपूरण हरिकरिती श्री(खी )क्षार श्रीसुभाति नभिऊण ढालरूष प्रमाणतांबहु
409
वे(वं )छिन(त)पूरण हीरकीरती श्रीखी(क्षी) श्रीसुमति नमिऊण
411 4166 424 12 424
ढानरूप प्रमाणतां बहु
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