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1117.1
पिण्डनिर्युक्तवचूरि
No. 1117
IV. 4
in.
Malasairas
Size.- 11‡ in. by 5
Extent. 85 folios; 15 lines to a page; 42 letters to a liue. Description.—Country paper tough and white; Devanagari characters; big, clear and good hand-writing; borders ruled in three lines in red ink; yellow pigment profusely used; foll. mostly numbered in the right-hand margin; fol. 1a blank ; condition very good; complete ; this Ms. contains the ass of the text.
Age. — Samvat 1931.
Author.— Kşamāratna, pupil of Jayakirti Suri.
Pindaniryuktyavacuri
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489
Subject. A small commentary in Sanskrit based upon the bṛhadvrtti to Pindaniryukti.
Begins. fol. 1 श्रीगणेशाय नमः ॥
1
In a different hand we have: ग्र. ३००१.
62 [L. L. P. 1
169.
1873-74.
श्रीपिंडनिर्युक्तिरवचूरिर्लिख्यते पूर्वमधिकारसूत्रं गाथा पिंडे गाहापिंडे
आहारविषये उद्रम १ उत्पादना २ एषणा ३ संयोजना ४ प्रमाण ५ इंगाल६ धूम ७ कारण ८ भेदाष्टविधा पिडनियुक्तिभ ( ) वति etc.
Ends.fol. 85 जा जगाहा यतमानस्य सूत्रोक्तविधिपरिपालनपूर्णस्य अध्यात्मविशोधियुक्तस्य रागद्वेषाभ्यां रहितत्वात् या भवेद्विराधना अपवादप्रत्यया सा भवति निर्जराफला ७० ॥
श्रीबृत्तिमालोक्य गंभीरार्था (थ) विनिश्वितं या श्रीपिंडनियुक्तिः प्रकटार्था विनिर्ममे १
इति श्रीपिंड निर्युक्तिरवचूरिता १
इति श्री विधिपक्ष गच्छ गगनर विमंडल श्री गच्छेश्वर श्रीजयकीर्तिसूरिशिष्यक्षमारत्नेन स्वपरावबोधाय श्री पिंडनिर्युक्तेरवि (ब) चरिरलेखि ॥ १ ॥ यत्किचिन्मया दौर्बल्यादसंगत मिहागतं
तच्छोधने विधातव्या कृपा सद्भिः सुबुद्धिभिः ॥ छ ॥
यावदिदुरवी विश्वे प्रमोदं कुरुतो भृशं ।
तावनंद साधूनां हितैषा ( 5 ) व्यर्थ संततिः ॥ २ ॥
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