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Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur (Jodhpur Collection)
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गीतका छंदकीनाशत्रास विनास कर परिहरि पुरातम हरी पिया,
सुत नारि वित्त परिवारि रातो त्यागि अमृत विष पिया। यह पाय अवसर खाय वे जमराय जालिम कोपिया, ,
अब शरन संतन चरन की हरिरामदास धनोपिया ॥५०॥ दोहा- मो मति सम भाषा करी, यह हरिनाम सुदास ।
भूल्यो संत सुधारि हैं, शरणागत हरिदास ॥१॥ कवित्त- क्या सामरथ क्या लौंण-गुणि गधे नहीं झेली,
क्या जोगी भया उदास एक घरि भीख न मेल्ही। क्या अन का पड्या दुकाल फूल चंवले नही लीन्हां
क्या घरत भया अलोप दूध गाडर नही दीन्हा ।। क्या घटी बनराइ प्ररंड की डाली तूटी,
क्या बाजा भया कंसि डाक डेरू की टूटी । जिन सिर ज्यासो पूरसी, इन भोले मति भूलि,
रजब मूद्या ऐक दर, गया संस दर खूलि ॥१॥ संबत १८६५, मिति भाद्रवा सुद ८ भौमवासरे लिषतं किंवसर मध्ये, वांचे त्यांन श्रीरांमः श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ।। श्रीराम ॥ श्रीराम श्रीराम ।। श्रीराम ॥ श्रीराम सत्य छ । स्वायंभुव ॥१।। स्वारोचिष ॥२।। उत्तम३।। तामस ॥४॥ रैवत्य ॥५॥ चक्षक ॥६।। श्राद्धदेव ॥७॥ दक्ष सावणि ॥९ब्रह्म सावणि ॥१०॥ धर्म सावणि ॥११॥ रुद्र सावणि ॥१२॥ देव सावणि ॥१३॥ रुद्रसावरिण ॥१४॥ कवत- भक्त होत जा बंस में सप्त गोत तार सही पिता पखि चोविस बीस माता के जानौं,
षोडस त्रिया प्रवाण द्वादस पुत्री के मानी। एकादस कुल बहन दस भूवा के लेले,
अष्ट मात कुल बहन वेद सुमृति यू पेष । ततबेता तिहूं लोक मैं, वेद सुमति ऐस कही।
भक्त होत जा वंश मैं, सप्त गोत तार सही ॥१॥ वांचे सणे तिकांने श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ॥ श्रीराम ।। औराम मांचिज्यो श्रीराम ॥
___4717 शिवदत्ताष्टकम् यैः कृता बहवो यज्ञा नारायणपरायणाः । तेषां श्रीशिवदत्तानां पादपद्म नमाम्यहम् ॥१॥
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