SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 480
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur (Jodhpur Collection) 43 COLOPHON: जयति प्रात शुभ काल गोपालवल्लभ सदा कृत भारती धूम्रहारी । सुरनिकरसिद्धगंधर्वविद्याधरनागनरलोक सर्वजगत मंगलकारी ।।२।। जयति निलिगिरिराजयदुसिंधुसिंघारूढरविकोटितनतेजधारी । नीलघनश्याममुख कमललोचन सुधादृष्टि शुभवृष्टिजनतापहारी ॥३।। जयति राजराजेश्वराधीश जगदीश प्रभु भोगकारभीतहरि अभयदानी। निलिगिरिश्रीजगन्नाथ गुणगरिम महिमा महामंदमति दास माधो न जानी ॥४॥ इति श्रीमाधोदासकृत जति समाप्ता । 3453. तालवनचरित्रस्तोत्रम् अथ तालवनचरित्रम्स पातु मां यस्तृणराजराजीफलैविराजन्वजराजपुत्रः । सुखानि चक्राङ्ककर: सखीनां चक्रीवतां चक्रमुदस्य चक्रे ।। जय धेनुलक्षशतगुप्तिदक्ष वनमण्डलान्तमनुसृत्य कान्तमुपलब्धहर्ष कृत केलिवर्ष बलदेवगीतधनशाखिशीतवनराजिरूप पशुपालभूप कृतपक्षिवार-चरितानुकार• धृतमित्ररंग रसवलगदङ्ग पुरूमल्लयुद्ध-पटुबाहुरुद्धबलदुर्दु रूढ-निजमित्रकूट यमनोपकूल-तरुराजिमूलपदभद्रसेन कृतदुग्धफेनपटलानुकल्प-नवपुष्पतल्पवरमध्यसुप्त सुहृदालिगुप्त वृषभानुबद्ध-मदुरागनद्ध कलगीतहृष्ट सुबलाभिमृष्टकृतपद्मनिन्द-चरणारविन्द विटपावतान-परिवीज्यमान परिपक्वताल-फललुब्धबालकलवाक्यरूढ-हसितोपगूढमुखतारकेश धृतवीरवेश धनतुङ्गताल-विपिनान्तरालमुपलब्ध रामसहितात्मधामधुतघूर्णदग्र तृणराट्समग्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018013
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Part 2 B
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Oriental Research Institute Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages646
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy