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૨૮૪ ग्रंथांक
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान |
विशेष नोध
ग्रंथर्नु नाम
भाषा
संवत
पत्र संख्या
२४१....
२४३ .
वसुधारा............ वसुधारा .... लघु, अजित, बृहत् शांति ..... कल्याणमंदिर सार्थ .................... कुमुदचंद्र....... .सं.गु.
........... भक्तामरस्तोत्र सह बालावबोध ............ मानतुंगसूरि ............ सं.प्रा साधारणजिनस्तोत्र सह अवधूरि ........... जयानंदसूरि ............ त्रिपुरा (विजया) देवी पूजामंत्र स्तोत्र .....
... १७६७ जयतिहअणस्तोत्र.......................... अभयदेवसरि............ इन्द्रियपराजयशतक .................... शत्रुजयस्तवन ...............
.......... १८५९ शुभाशुभकरणस्वाध्याय .................... भावसागर ........ अष्टप्रकारीपूजा
........... १७०० सज्झाय-स्तुति-स्तवन ...............
|..प्रा. नागपुरऋषभरतवन..... तपविधियंत्र ............... पद्मकोश ................................. गोवर्धन ........... .. सं. अष्टयोगिनी दशा अन्तर्दशाफल ............ जातकबालावबोध .......................... हरिदत्त ......... ढूळकरास ........................... समवसरणप्रकार ............... नवकारअर्थ+ कल्पोपमा.
समयसुंदर .............. नवकारवालावबोध खन्डायोजन द्वार
रविविजय. चातुर्मासिक व्याख्यान (पद्धति)....... समयसुंदर
........ १८५७ जीवाजीवविचार शांतिसूरि
१८५३ उष्ट्रिक (खरतर) मत ..
धर्मसागर नवतत्त्व बोल..............
लक्ष्मीकुशल गणि.......... प्रा.
............ १८९१
.. सं.
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सं
............२०४ - २६६ .
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