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श्री संघना पुण्योदयथी अने जेसलमेरना श्री संधनी सम्मतिथी संघवी शेठ श्री सांगीदासजी बाफणाना सुपुत्र श्रेष्ठी श्री आयदानजी अने श्रेष्ठी श्रीराजमल जीमहेताना सुपुत्र श्री फत्तेसिंहजी महेता, आ बे सुश्राव कोनी विनंतिथी, तपगच्छदिवाकर न्यायांभोनिधि संविग्नशाखाना आद्य आचार्य पंजाबदेशोद्धारक आचार्य श्री विजयानन्दसूरि (आस्मारामजी महाराज )ना शिष्य अणहिल्लपुर पाटण आदिमां रहेल जैन ज्ञानभण्डारोना उद्धारक प्रवर्तक श्री कान्तिविजयजीना शिष्य लिंबडी वगेरे नगरोना प्राचीन ज्ञानभंडारोना उद्धारक श्री आत्मानन्द जैन ग्रन्थमालाना संपादक मुनिवर श्री चतुरविजयजी महाराजना शिष्याणुरन अने समग्र जिनागमना सांग संशोधननी इच्छावाळा मुनि पुण्यविजयजीए, राजनगर (अमदावाद) गुजरातथी अत्युग्र विहार करी जेसलमेर आवीने अहींना किल्लामा रहेला प्राचीनतम जैन ज्ञानभण्डारनो, ग्रन्थलेखन-संशोधन-पृथक्करण-टीप वगेरे करीने सर्वांगीण समुद्धार को.
पूज्यप्रवर चारित्रचूडामणि श्री हंसविजयजी महाराजना शिष्य विनीतस्वभावी पंन्यास श्री संपद्विजयजीना शिष्याणु अनेक ग्रन्थोनुं संशोधन अने नकल करवामां प्रवीण मुनि श्री रमणिक विजयजी अने पोताना शिष्य श्री जयभद्रवि चयनीथी सहित मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजीए पोताना मोटा गुरुभाई पूज्यपाद श्री मेघविजयजी महाराजनी छत्रछायामां रहीने उपर जणावेलू जीर्णोद्धारादि कार्य कयुं छे.
भनेककार्यकुशळ न्यायतीर्थ बेलाणी श्री फत्तेहचन्द्र, भोजककुलभूषण पंडित श्री अमृतलाल, सततसंशोधनादिलीन पंडित श्री नगीनदास अने लेखनकलाप्रवीण भोजक चीमनलाल, आ चारेय विद्वानोए आ भण्डारना जीर्णोद्धारादि समस्त कार्यामां सतत सहाय करी छे. तथा राजनगरनी श्री गुजरातविधासभाए पोताना खरचे मोकलेला श्री जितेन्द्रभाई जेटली एम. ए. न्यायाचार्य पण अहींना ज्ञानभण्डारोमा रहेला दार्शनिक ग्रन्थोना संशोधनादिमां सहायक थया छे. तथा महीना भंडारना जीर्णोद्धारादिने उपयोगी अन्यान्य कार्यानो निरन्तर श्रम उठावनार भोजककुल नंदन लक्ष्मणदास अने रसिकलाल (बे भाईओ) पण सहायक थया छे. रसोई करनार वीरचंद भने माधवसिंह ठाकोर पण उत्साह पूर्वक बधाने आनंद आपता हता.
___ श्री जैन कॉन्फरन्स-मुंबई, आ संस्थाए जीर्णोद्धारादिमां थएला समस्त द्रव्यनी व्यवस्था करी छे. तेमां उपर जणावेला विद्वद्वर्ग आदिना निमित्तनी बधी ज व्यवस्थानो खरच अणहिल्लपुर पाटणना निवासी श्रेष्ठी श्री कीलाचन्द्रात्मज श्री केशवलालभाईनी सत्प्रेरणाथी प्रेराईने पाटणना ज वतनी उदार प्रकृतिवाळा जिनप्रवचनना अनुरागी श्रेष्ठी श्री पोपटलालना सुपुत्र श्री चीमनलालभाईए पोताना ज्ञानावरणादि क्लिष्ट कर्मनी निर्जरा निमित्ते को छे. ग्रन्थोनी काष्ठपट्टिकाओ, दोरीओ, वस्त्रनां बन्धनो, एल्युमिनियमना डबा अने लोखंडनां कबाट वगेरे माटेनी तेमज माईक्रोफिल्म संबंधी समग्र द्रव्या
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