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________________ २. महत्त्वना ग्रन्थोनी नकलो-से अन्थोनुं प्राचीनतानी दृष्टिए अने पाठभेदनो दृष्टिए महत्त्व के अने जे ग्रन्थो अन्यत्र नथी मळता ते ग्रन्थो पैकी नीचेना ग्रन्थोनी नकल-प्रेसकोपी कराववामां आवी छे.क्र० ग्रन्थनाम क्र० मन्थनाम २७ प्रज्ञापनासूत्र ३७३ सर्वसिद्धान्तप्रवेश ३४ ज्योतिष्करण्डकटीका ३८७(२) प्रमाणान्तर्भाव ८५ दशवकालिक चूर्णि श्री अगस्त्यसिंहगणिकृत ३९३ सांख्यसप्ततिका सटीक ११६ विशेषावश्यकमहाभाष्य ३९४ १२२ ओधनियुक्तिमहाभाष्य मुनिसुव्रतचरित्र २७१ पृथ्वीचन्द्रचरित्र ४१०(२) नन्दीसूत्रचूर्णि ३१७ कविकल्पलतापल्लवशेषविवेक भगवतीसूत्र लोकागच्छीय ३६३ सन्मतितर्क द्वितीयखंड भंडारनी प्रति नीचेना दार्शनिक ग्रंथोमांथी संभव छे के कोई ग्रन्थनी कॉपी न थई होय अने एना पाठभेद ज लीधा होय : ३६४(२) न्यायबिन्दुवृत्ति ३७७ तत्त्वसंग्रहमूल ३६४(५) न्यायबिन्दुमूल ३७८ तत्त्वसंग्रहपंजिका ३७५(१) न्यायप्रवेशसूत्र ३८३(२) न्यायकन्दलीटीका ३७५(३) न्यायप्रवेशटीका ३८१(१) न्यायकन्दलीटिप्पनक ३६४(३) न्यायप्रवेशपञ्जिका ३८३(१) प्रशस्तपादभाष्य अपूर्ण ७२-पोथी नं. ७ पंचप्रस्थान ३६४(१) न्यायावतारवृत्ति १३१३ पोथी नं. ७७ किरणावली ३८१(२) न्यायावतारटिप्पनक ३. उपर जणान्या प्रमाणे जे ग्रन्थो पाठभेदनी दृष्टिए अने प्राचीनतानी दृष्टिए महत्वना ते पैकीना नीचेना ग्रन्थोने तेमनी मुद्रित आवृत्ति साथे अक्षरशः मेळवीने तेना पाठभेद नोधी लीधा छे'.७९(१) अनुयोगद्वारसूत्र ८० अनुयोगद्वारसूत्रावृत्ति मलबारीया ७९(२) , लघुवृत्ति हारि० ८१ " " ४१०(३) , चूर्णि १. आ ग्रन्थोमा जे प्रन्थ अद्यावधि मुद्रित थयो न होय ते ग्रन्थनी प्रेक्षकॉपी साथे पाठमेद डेवामां आभ्या के. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
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