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________________ हतुं. मने बराबर स्मरण छे के आ भेळसेळ थयेलां अनेक ग्रन्थोनां पानांने व्यवस्थित करवा माटे वि० सं० १९९९मा पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजीए अने तेमना सहायक तरीके गयेला भमे चार भाईओए पण प्रयत्न करेलो, पण ते कार्य अशक्य लाग्यु त्यारे पू. मुनि श्री जिनविजयजीए कधु के-"भाई ! आ काम पुण्यविजयजी सिवाय कोई नहीं करी शके." मा सिवाय, पहेलां जणाव्युं तेम, महत्त्वनी कागळ उपर लखा येली अति जीर्ण प्रतिओनो दिल्होमा जीर्णोद्धार कराव्यो. केटलाक ताडपत्रीय ग्रन्थो उपर सचित्र कळामय प्राचीन बहुमूल्य काष्ठपट्टिकाओ हती ते वधारे घसाय नहीं भने सुरक्षित रहे ते माटे अलग तारवीने प्रदर्शनीमचूषा-शों केइसमां मूकवामां मावी छे. मा पट्टिकामना परिचय माटे जुओ पृ० ३५७. संशोधनादि कार्य पूज्यपाद आगमप्रभाकरजी द्वारा जेसलमेरना भंडारोना ग्रन्थोनुं संशोधन कार्य थयुं तेना मुख्यतया चार विभाग करी शकाय. १ सूचीपत्र तैयार करवं, २ महत्त्वना ग्रन्थोनी नकल-प्रेसकोपी कराववी, ३ उपयोगि प्रन्थोने अक्षरशः मेळवी लेवा, ४ महत्त्वना ग्रन्थोनी फिल्म-माइक्रोफिल्म बराववी. आ चार बाबतोनी विगतो आ प्रमाणे छे. १. सूचीपत्र-प्रत्येक ग्रन्थनु नाम, तेनी भाषा, तेना कर्ता, तेनो रचनासमय, तेनो लेखनसंवत्लेखनसंवत् न मळयो होय तो अनुमाने विक्रमनो शतक, तेनी हालत-स्थिति अने लंबाई-पहोळाईनी विगतो आ सूचीपत्रमा आपवामां आवी छे. महत्वना ग्रन्थोनो आदि-अंतनो भाग तेमज प्रत्येक प्रन्थना लेखकनो प्रशस्ति-पुष्पिकाओ अक्षरशः आपी छे. कोईवार उपयोगी जणांतां ग्रन्थकारनी प्रशस्ति पण आपी छे. आ सिवाय विशेष जाणवा जेवी हकीकत होय तो तेने ते ते ग्रन्थना अंतमा नोधरूपे नणावी छे. उपर प्रमाणेनी सूचीनी पछी छ परिशिष्टो आपवामां आव्यां छे. प्रथम परिशिष्टमां समग्र सूचीपत्रमा आवेला ग्रन्थोनां नाम तेमना स्थळदर्शक पृष्ठांक साथे, अकारादि क्रमथी माप्यां छे. द्वितीय परिशिष्टमां सूचिपत्रमा आवेला ग्रन्थोना रचयिताओनां नामोने, तेमना स्थळदर्शक पृष्ठांक साथे, अकारादि क्रमथी आप्यां छे. तृतीय परिशिष्टमां सूचिपत्रमा आवेला ग्रन्थोना आदि-अंत भागमां तथा प्रशस्ति-पुष्पिकाओमा आवेलां विशेषनामोने पृष्ठांक साथे, अकारादि क्रमथी आपवामां मान्यां छे, आ नामोनुं ऐतिहासिक महत्त्व पणुं छे. चतुर्थ अने पंचम परिशिष्टमां पूर्वे जणावेली अनुक्रमे वि. सं. १८०६ अने वि. सं. १९४१ मां लखायेली जेसलमेरना भंडारोनी टीपो-सूचीओ मापवामां आवी छे. अने छठा परिशिष्टमा आगळ जणावेला वि. सं. २००७ वाळा शिलालेखनी बाचना मापवामां आवी छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
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