________________
१५
तपागच्छनो ज्ञानभंडार
आ भंडारमां ताडपत्र अने कागळ उपर लखाएला ग्रन्थो छे. तेमांथी ताडपत्रीय बधा य एटले सात प्रन्थोनी सूची अहीं आपी छे. आमां ऋषभदेवचरित्रनी प्रति (क्र० २, पृ० ३५८) विशेष महत्वनी छे, कारण के आ चरित्र श्री जयसिंहसूरिए वि. सं. १३३० मां रचेलं छे अने लक्ष्मी नामनी श्रेष्ठपुत्रीए ते न समयमां एटले वि. सं. १३३०मां लखावीने प्रन्थकार श्री जयसिंहसूरिजीने ते अर्पण करेल छे. आ सिवाय धर्मरत्नप्रकरण स्वोपज्ञवृत्तिसहितनी प्रति (क्र० ४, पृ० ३५८) पण महस्वनी छे, कारण के तेमां वृत्तिकारना नामनो स्पष्ट निर्देश छे तेमज वि. सं. १११५मां लखायेल पंचाशकप्रकरण आदि बीजा पण विशिष्ट ग्रन्थो आ भंडारमां छे.
आ भंडारमा रहेली कागळनी प्रतिओ पैकी केवल एक सोनानी शाहीथी लखेली सचित्र कल्पसूत्रनी प्रतिनो तेनी विशिष्ट लेखनकळा अने चित्रकळाने लक्षीने परिचय आप्यो छे. आ पुस्तक लखावनारनी प्रशस्तिमां संघयात्रा, ऊजमणं तेमज पौषधशाळा कराव्यानो उल्लेख छे. जुओ
क्र० ८, पृ० ३५९-६०.
atarगच्छनो ज्ञानभंडार
आ भंडारमां ताडपत्र उपर लखायेली चार प्रतिओ के कागळ उपर लखायेला ग्रन्थो विपुल प्रमाणमां छे. अहीं मात्र ताडपत्रीय प्रन्थोनी सूची आपवामां आवी छे. ताडपत्रीय चार प्रतिओमां कुल नत्र ग्रन्थो के अने ते जैन आगम अने तेनी व्याख्याना हे. तेमां भगवतीसूत्र ( क्र० ४, पृ० ३६२ ) अनुमाने विक्रमना बारमा शतकमां लखायेलं हे, अने शेष ग्रन्थो वि. सं. १३०७ मां लखायेला छे. प्राचीन प्रत्यंतरनी दृष्टिए आ ग्रन्थो महत्त्वना छे.
थाहरूशाहनो ज्ञानभंडार
विक्रमना सत्तरमा शतकमां जेसलमेर निवासी भणशालीगोत्रीय धनी, दानी भने धर्मनिष्ठ श्रेष्ठी श्री थाहरू शाहे जिनमंदिरनिर्माण आदि अनेक धर्मकृत्यो करेला जेमां पोतानो ज्ञानभंडार पण लखावेलो. आ भंडार आज पण तेमना वंशजो पासे सुरक्षित छे. पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीने आ भंडार जोवा माटे छेले छेले एक दिवस पूरती न अनुकूळता मळी तेथी तेनी सूची आपी शकाई नथी. श्री थाहरूशाहजीना परिचय माटे तेमनी प्रशस्तिवाळी एक उदाहरण पूरती अंगविज्जानी प्रतिनी तथा लेखनकळा अने चित्रकळाना श्रेष्ठ किंमती नमूनारूपे सुवर्णाक्षरी सचित्र कल्पसूत्रनी प्रतिनी प्रशस्ति अहीं आपी के उपरांत, चामडना डाबडा उपर पण लखेली श्री थाहरू शाहनी पुष्पिका पण अहीं आपी छे. चौलुक्य महाराजा श्री कुमारपालदेवना समयी श्री जिनदत्तसूरिजीना चित्रवाळी ताडपत्रीय पुस्तकना उपर राखवामां आवती एक चित्रमय काष्ठपट्टिका पण आसूचीम नोंघी छे, आ काष्ठपट्टिका मूळमां थाहरूशाहना भंडारनी नथी पण किल्लाना श्री जिनभद्रीयज्ञानभंडारनी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org