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________________ १४ सूचीपत्रमा आ भंडारनुं नाम 'श्री जेसलमेरुस्थित खरतरगच्छीय युगप्रधान श्री जिनभद्रसूरिज्ञानभंडारस्थित कागळ उपर लखेल ग्रन्थोनुं सूचीपत्र' आवा शिर्षकमा आप्युं छे, पण वास्तवमा मा कागळ उपर लखायेलो ज्ञानभंडार वेगडगच्छीय ज्ञानभंडार छे. पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीना य पहेलां जे कोईए आ भंडार जोयो तेमणे तेने किल्लामां श्री जिनभद्रसूरिज्ञानभंडारवाळा भोयरामां ज नोयो छे. अर्थात् अनेक वर्षोथी आ भंडारने किल्लामां मूकवामां आवेलो के. माथी ज अहीं मणाव्युं तेम, आ भंडारनुं शीर्षक अपायुं छे. आ संबंधमां पूज्यपाद आगमप्रभाकरवीए नोष पण करेली के. ३. खरतरगच्छीय वडाउपाश्रयनो अथवा पंचनो ज्ञानभंडार प्रस्तुत सूचीपत्रमा क्रमांक ४०४ थी ४२६ सुधीना आ भंडारना प्रन्थोने 'पंचनो ज्ञानभंडारजेसलमे' आ नाम थी सूचित कर्या छे. जुओ पृ० १७४ थी १८० वास्तवमा मा ग्रन्थो वडा उपाश्रयना भंडारना ज छे. आ ग्रन्थोमां स्थविर श्री अगस्त्यसिंहगणिकृत दशवैकालिकसूत्रनी चूर्णिनो अति महत्त्वनी प्राचीन प्रति छे, जे अन्यत्र कोई पण भंडारमा नथी. आ ग्रन्थने पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीए संपादित कयों छे अने ते प्राकृत टेक्स्ट् सोसाइटी द्वारा ढूंक समयमांज प्रसिद्ध थशे. आ उपरांत नन्दिसूत्रनी तथा अनुयोगद्वारसूत्रनी प्राचीनतम विशिष्ट प्रति, वि. सं. ११९३मां रचाएला श्री मुनिसुंदरसूरिकृत मुनिसुव्रतस्वामिचरित्रनो वि. सं. ११९८मां लखाएली प्रति, वागीश्वरांक रत्नाकरकविकृत हरविजयमहाकाव्यनी वि. सं. १२२८मां लखाएली प्रति आदि ताडपत्र उपर लखाएली कुल पंदर प्रतिओ अने विक्रमना चौदमा शतकथी सोळमा शतक सुधीमा कागळ उपर लखाएली महत्त्वनी प्राचीन प्रतिओ आ भंडारमा छे. कागळ उपर लखाएली प्रतिओमां चांदीनी (रूपेरी) शाहीथी लवाएली कल्पसूत्र अने कालकाचार्यकथानी सचित्र प्रति तेमज काळी शाहीथी लखाएली सुंदरतम चित्रोवाळी कल्पसूत्र अने कालकाचार्य कथानी प्रति आपणी विशिष्ट लेखनकळा अने चित्रकळाना नोधपात्र नमूनारूप छे. उपर जणावेला पंचना भंडार पछी प्रस्तुत सूचीपत्रमा वेगडगच्छीय ज्ञानभंडारना ग्रन्थोनी सूची आपी छे. अने ते पछी पोथी नं. ८४ थी १३३ सुधीमां आवेला क्रमांक १३३१ थी २२५७ सुधीना ग्रन्थो वडाउपाश्रयना ज्ञानभंडारना छे. जुओ पृ० २९२ थी ३५५ आ ग्रन्थो विक्रमना पंदरमा शतकथी ओगणीसमा शतक सुधीमां लखाएला छे अने तेमांनो मुख्य भाग जैन आगम, प्रकरण, रास तथा स्तोत्रादि ग्रन्थोनो छे. आम छतां व्याकरण, काव्य, छंद, आयुर्वेद अने ज्योतिष मादि विषयोना अजैन ग्रन्थोनी प्रतिओ पण मा भंडारमा छे. शेष भंडारोनी माहिती मा प्रमाणे छे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
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