________________ सुजाय 926 - अमिधानराजेन्द्रः - भाग 7 सुजाय तसुविभक्तस्वरूपकाः / जी०३ प्रति० 4 अधि०२ उ० / जं०। ज्ञा० / औ०। (मूलद्रव्यशुद्धे उदाहरणम्) "सुजायवरजायरूवपढम-गविसालसाला' सुजातं मूलद्रव्यशुद्धं वरं पधानं यत् जातरूपं तदात्मकाः प्रथमिका मूलभूता विशाला शाला शाखा यस्याः सा सुजातवरजातरूपप्रथमकविशालशाला / जी०३ प्रति०४ अधि 02 उ०। शोभने जन्मनि, नपुं०। आ० क० 4 अ०। स्वनामख्याते श्रावके, पुं०। सुजातकथा चेयम्"रिउचक्कअकंपाए, चंपाइपयावविजिया त्तपहो! मित्तपहो नाम निवो, सधम्मिणी धारणी तस्स // 1 // सिट्ठी य धम्मरत्तो, धणभित्तो सुयणकमलवणभित्तो। भज्जा तस्स धणसिरी, सिरी व वररूवलावन्ना / / 2 / / ताणं जाओ पुत्तो, बहुओवाइयसएहि सुपवित्तो। संजणियजवणचमक्को, तणुप्पहपिडचलिच्चिक्को // 3 // जं जाओ इह रिद्धे, कुलम्मि हे जाय ! तंतुह सुजायं। भण्णइ जणेण तेणं, नाम कयं से सुजाओ त्ति|४|| पडिपुन्नंगोवंगो, निरुवमलवणि सुरूवरूवधरो। सो सव्वकलाकुसलो, कमेण तरुणत्तमणुपत्तो॥५॥ कइया वि पवित्तंतो, जिणथुइपूयाहि वाणिपाणितलं / गुरुपयकमलं विमलं, कयावि भमर व्व सेवंतो॥६॥ काहे वि य जिणपवयण-पभावणं पावणं पुण कुणंतो। सवणपुडेहि पियंतो, कयाइ जिणसमयअमयरसं // 7 // ललिएहि य मणहरेहिँ , सहिययहिययंगमेहि भणिएहिं। नयरे नयरे हिल्ले, कस्सन सो कासि तोसभरं / / / इत्तो तत्थेव पियंगु नामिया धम्मघोसंमतिपिया। पेसणपडियाउ चिरा, गयाउ तजेइ दासीओ // 6 // ताओ भणंति सामिणि!, मा कुप्पसु अम्ह जय अपडिरूवं / दटुं सुजायरूवं, कस्सन मोहिजए हिययं / / 10 / / सा पडिभणइ हलाओ!, जया सगच्छिज्जऽणेण मम्गेण / ताहे मम साइजह, तं सुहयं जेण पिच्छामि॥११॥ गुणिजणअवयंसवयं-सपरिगयंतं कयाइ तम्मि पहे। जंतं दासीकहियं, नियइ पियंगू सवत्तिजुया // 12|| मम्मरूवमदुप्फर, भंजणपवणं निए वितं एसा। पभणइ धन्ना स चिय, नारी जीसे वरो एसो॥१३|| काउंसुजायवेसं, अइसाइ, कयावि सा अभिरमेइ। अन्नाण सवत्तीणं, मज्झे तव्वयणचिट्ठाहिं॥१४॥ इत्तो पत्तो मंती, गिहदारं निट्ठणं ति कलिऊण! अवसप्पिऊण सणियं, कवाडछिद्रेण पिच्छेइ॥१५॥ अंतेउरचिटुंद-ठु चिंतएहा विणट्ठयं एय। होही रहस्सभेए, सुइरंता होउ पच्छन्नं॥१६॥ अह लिहइ कूडलेह, सुजाय ! तुमए महं इमं कहियं। जह बंधिय अप्पिस्सं, मित्तपहं दसदिणस्संते॥१७॥ किं तु विलंबसि अज्ज वि, इचाइ निदंसए निवस्सगे। चिंतइ निवो विहद्धवि, एयम्मि इमं कहं घडइ।।१८।। अहवा लोहंधाण नराण किं अकरणिज्जमिह भुवणे। ता हतव्वो एसो, रक्खयव्यो जणऽववाओ॥१६॥ तो निवकज्जमिसेणं, सलेहमप्पिय स पेसिओ रन्ना। नंयरी अररकुरीए, चदज्झयानवइपासम्मि।।२०।। सोदनिवाएसं, तस्स य रूवं विचिंतए चित्ते। नघडइ एरिसरुवे, इमम्मि नरवइविरुद्धमिणं / / 21 / / यत उक्तम्विषमसमैर्विषमसमा, विषमैर्विषमाः समैः समाचाराः। करचरणदन्तनासिक-वक्त्रोष्ठानरीक्षणैः पुरुषाः।।२२।। अह ओसारिय सव्वं, साहइदंसेइ निवइलेहं च। भणइ सुजाओ नरवर!, कुणसुतुमं सामिआएसं।२३।। चंदज्झओ विजंपइ,न तुमं मारेमि किंतु परिऊण। अच्छिन्नपुन्नअच्छिन्न कित्तिपच्छन्नमत्थाहि॥२४॥ इय भणिऊणं तेणं, चंदजसानामिया निया भइणी। तयदोसदूसियतणू, दिना से गरुयहरिसेण // 25 // तस्संसम्गवसेणं, सासावयधम्मनिचला जाया। निक्किट्ठकुट्टविहुरा, सुवंगसंवेगरंगिल्ला॥२६|| गहियाणसणा सम्म, तेणं निजामिया हमा मरिठ। भासुरवरबुदिधरो,जाओ सोहम्मसग्गसुरो॥२७|| पत्तो सपउत्तोही, नमिउं जाणाविउंच अप्पाणं। भणइ सुजायं सामिय!, कहेसु किं ते करेमि पियं / / 28|| सो चिंतए जइ पियरे, पिच्छं ता हंगहमि पव्वजं / तब्भावमिणं नाउं, अमरो चंपापुरि उवरिं॥२६॥ विउल सिलं विउव्वइ, तो नियपमुहा जणा भिसं भीया। धूवकडुच्छयहत्था, भणंति सिरमिलियकरकमला // 30 // भो भो खमेह सो ज-स्स किंचि अम्हहि चिट्ठियं दुछ। अह वित्तासइ तियसो, कहिं गमिस्सह हहा दासा ! // 31 / / पावेण अमच्चेणं, सुसावओ दूसिओ अकजेण। चूरेमि तेण तुरियं, अज्ज अणज्जे तुमे सव्वे / / 3 / / छुडुह जइजं खामह, नरसिररयणं तओ जणो भणइ। सां संपइ कत्थ सुरो, भणेइ इत्थेव उज्जाणे॥३३॥ नायरजणसहिएणं, निवेण सो खामिओतहिं गंतुं। आरोविओ य सिंधुर-मइउद्धरकंधरं झत्ति // 34 // सो सोहंतो सिरउव-रिधरियहिमधामधवलछत्तेण। वीइज्जतो सुरसरि-लहरीसरसेयचमरेहिं / 3 / थुव्वंतो जलभरभरि-यजलयगुरुसद्दवंदिविंदेण। दितो दाणं मणत-- क्वियाहियं तक्कियजणाण // 36 // धम्मुदयातुहरूवं, तुह उदओधम्महेउ इय पीई। अन्नुन्नं होउ थिरा, इय जणवयणाँइ निसुणंतो॥३७।। धन्नो अहो इमो खलु, जस्स सुरा अवि कुणंति आएसं। धम्मो विएस पवरो, कुणंतिजं एरिसा पुरिसा ||3|| इचाइ जइणसासण-पभावणं सो कुणंतओ सगिहे। पत्तो पणमइ अम्मा--पिऊण पयकमलममलमणो // 36 // इत्तो य धम्मघोसो, मंती वज्झो निवेण आणत्तो। मोयाविओ सुजाए- कारिओ तह वि निव्विसओ।।४।। अह दाउ निययदव्वं, धम्मे पुच्छिय निवं तहसुजाओ। पियरेहि समं दिक्खं, गिण्हइ दुविहं तहा सिक्खं / / 41 / / कयदुक्करतवचरणा, निम्मलकेवलकलाहिकतिल्ला। तिन्नि वि तिन्नपइन्ना, सिवमयलमणुत्तरं पत्ता / / 42 / / मंती विधम्मघोसो, रायगिहगओ फुरंतवेग्गो। गुरुमूलगहियदिक्खो, पवनपडिमाविहारो य / / 43 // वारत्तपुरे भयसे-ण रायवारत्तमंतिगेहम्मि।