________________ मरण 146 - अमिधानराजेन्द्रः - भाग 6 मरण तात्तोय जोगसंगह-उवहाणक्खाणयम्मि कोसंबी। रोहगमवंतिसेणो, रुज्झेइ मणिप्पभो भासो // 474 / / धम्मगसुसीलजुयलं, धम्मजसे तत्थऽरण्णदेसम्मि। पत्तं पञ्चक्खाइय, सेलम्मि उवच्छगातीरे / / 475 / / निम्मम निरहंकारो, एगागी सेलकंदरसिलाए। कासीय उत्तमऽ8, सो भावो सव्वसाहूणं / / 476 / / उण्हम्मि सिलावट्टे, जह तं अरहण्णएण सुकुमालं / विग्धारियं सरीरं, अणुचिंतिजा तमुच्छाहं / / 477 / / गुब्बर पाओवगओ, सुबुद्धिणा णिग्विणेण चाणको। दड्डो न य संचलिओ, साहू धिइचिंतणिज्जाओ।।४७८|| जह सोऽविसप्पएसी, वोसट्टनिसिट्ठचत्तदेहो उ। वंसीपत्तेहिं विनि-ग्गएहिँ आगासमुक्खित्तो / / 476 / / जह सा बत्तीसघडा. वोसट्ठनिसट्ठचत्तदेहागा। धीरा वाएण उ दीवएण विगलिम्मि ओलइया // 480 / / जंतेण करकएण व, सत्थेहिं व सावएहि विविहेहिं। देहे विद्धस्संते, ईसिं पि अकप्पणरुमणा // 481 / / पड़णीययाइ केसिं, चम्मंसे खीलएहि निहणित्ता। महुधयमक्खियदेह, पिवीलियाणं तु दिजाहिं॥४८२।। जेण विरागो जायइ, तं तं सव्वायरेण करणिजं / सुव्वइ हु ससंवगो, इत्थ इलापुत्तदिह्रतो / / 483|| समुइण्णेसु य सुविहिय ! घोरेसु परीसहेसु सहणेणं / सो अत्थो सरणिज्जो, जोऽधीओ उत्तरऽज्झयणे / / 484|| उज्जेणि हस्थिमित्तो, सत्थसमग्गो वणम्मि कटेणं / पायहरो संवरण-चिल्लगभिक्खावणसुरेसु // 485 / / तत्थेव य धणमित्तो, चेल्लगमरणं नईइ तण्हाए। निच्छिण्णेसुऽणज्जंत-विंटियव्विस्सारणं कासि॥४८६|| मुणि-चंदेण विदिण्णस्स, रायगिहिपरिसहो महाघोरो। जत्तो हरिवंसविहू, सणस्सवूच्छं जिणिंदस्स।।४८७|| रायगिहनिग्गया खलु, पडिमापडिवन्नगा मुणी चउरो। सीय विहूय कमेणं, पहरे पहरे गया सिद्धिं / / 488|| उसिणे तगररहन्नग-चंपामसएसु सुमणभद्दरिसी। खमसमण अज्ञरक्खिय, अचेल्लय यत्ते य उजेणी।।४८६|| अरई य जाइसूकरो, भव्वो अदुलहबोहीओ। कोसंबीए कहिओ, इत्थीए थूलभद्दरिसी।।४६01 कुल्लइरंमि य दत्तो, चरियाइपरीसहे समक्खाओ। सिद्विसुयमिगिच्छणणं, अंगुलदीयो य वासम्भि।।४६१।। गयपुरकुरुदत्तसुओ, निसीहिया अडविदेसपडिमाए। गाविकुविएण दड्डो, गयसुकुमालो जहा भगवं / / 462|| तो अणगारा धिज्जा-इयाइ कोसंबिसोमदत्ताइ। पाओवभयाणदिणे, सिजाए सागरे छूढा / / 463|| महुराइमहुरखमओ, अक्कोसपरीसहे उ सविसेसो। वीओ रायगिहम्मि उ, अज्जुणमालारदिह्रतो / / 464|| कुम्मारकडे नगरे, खंदगसीसाण जंतपीलणया। एवंविहे कहिज्जइ, जह सहियं तस्स सीसेहिं / / 465|| तह झाणणाणवुत्तं, गीए संपठियस्स समुयाणं / तत्तो अलाभगम्मि उ, जह कोहं निजिणे कण्हो 466|| किसिपारासरढंढो, बीयं तु अलाभगे उदाहरणं / कण्हबलभद्दमन्नं, चइऊण खमनिओ सिद्धो // 467|| महुरा जियसत्तुसुओ, अणगारो कालवेसिओ रोगे। मोग्गल्लसेलसिहरे, खइओ किलसरसियालेणं // 4981 सावत्थी जियसत्तू, तणवो निक्खमणपडिमतणफासे। वीरिय पविय विकंचण, कुसलेसणकढणसहणं NEE!! चंपासु णंदगं चिय, साहुदुगुंछाइजल्लखउरंगे। कोसंबी जम्मनिक्खमण-वेयणं साहुपडिमाए।।५००।। महुराइ इंददत्तो, सक्कारा पायछेयणे सङ्घो। पन्नाइ, अज्जकालग, सागरखमणो य दिलुतो 1501 / / नाणे असगडताओ, खंभगनिधि अपहियासणे भद्दो। दसणपरीसहम्मिउ, आसाढभूई उ आयरिया।।५०२|| चरियाए मरणंमि उ, समुइण्णपरीसहो मुणीएवं / भाविज निउणजिणमय-उवएससुईइअप्पाणं / / 503 / / उम्मग्गसंपयायं, मणहत्थिं विसयसुमरियमणंतं / नाणंकुसेण धीरो, धरेइ दित्तंपि व गइंदं // 504 / / एए उ अहासूरा, महिडिएको व भाणिउं सत्तो ? | किं वातिमूवमाए, जिणगणधरथेरचरिएसुं // 505 / / किं चित्तं जइ नाणी, सम्मट्ठिी करंति उच्छाहं। तिरिएहिवि दुरणुचरो, केहिवि अणुपालिओ धम्मो / / 506 / / अरुणसिहं दट्टणं, मच्छोसण्णी महासमुइंमि। हाण गहिउ त्ति काले, झसत्ति संवेगमावण्णो // 507 / / अप्पाणं निंदंतो, उत्तरिऊणं-महन्नवजलाओ। सावजजोगविरओ भत्तपारिण्णं करेसीय॥५०॥ खगतुंडभिन्नदेहो, दूसहसूरग्गितावियसरीरो। कालं काऊण सुरो, उववन्नो एव सहणिज्जं // 506 / / सो वानरंजूहवई, कंतारे सुविहियाऽणुकंपाए। मासुरवरबुंदिघरो, देवो वेमाणिओ जाओ / / 510 / / तं सीहसेणगयवर-चरियं सोऊण दुक्करंऽरण्णे। को हुणु तवे पमायं, करेज जाओ मणुस्सेसुं? 11511 / / भुयगपुरोहियडक्को, राया मरिऊण सल्लइवणंमि। सुपसत्थगंधहत्थी, बहुभयगयभेलणो जाओ / / 512| सो सीहचंदमुणिवर-पडिमापडिबोहिओ सुसंवेगो। पाणवहालियचोरिय-अब्बभपरिग्गहनियत्तो।।५१३॥