________________ पवेसणय 760 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 5 पवेसणय वं० जाव अहवा-एगे वालुयप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा / 4 / / एवं एकेक्षा पुढवी छड्ढयव्वा० जाव अहवा-एगे तमाए एगे अहे | सत्तमाए होजा। "दो भंते ! नेरइए" इत्यादावष्टाविंशतिर्विकल्पाः / तत्र रत्नप्रभाऊऽद्याः सप्ताऽपि पृथिवीः क्रमेण पट्टाऽऽदौ व्यवस्थाप्याऽक्षसञ्चारणया पृथिवीनामेकत्वद्विकयोगाभ्यां तेऽवसेयाः। तत्रैकेकं पृथिव्या नारकद्वयोत्पत्तिलक्षणैकत्वे सप्त विकल्पाः / पृथिवीद्वये नारकद्वयोत्पत्तिलक्षणयिद्विकयोगे त्वेकविंशतिरित्येवमष्टाविंशतिः। (एवं एकेका पुढवी छड्डयव्व ति) अक्षसञ्चारणाऽपेक्षयेदमुक्तमिति / तिण्णि भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पवेसमाणा किं स्य- | णप्पभाए होजा०जाव अहे सत्तमाए होजा? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजाजाव अहवा-अहे सत्तमाए होज्जा / 7 / अ-हवाएगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होला०जाव अहवा- एगे रयणप्पभाए दो अहे सत्तमाए होजा।६। अहवा-दो रयाणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा०जाव अहवा-दो रयण-प्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा।१२। अहवा-एगे सक्करप्प-भाए दो वालुयप्पभाए होजा०जाव अहवा-एगे सक्करप्पभाए दो अहे सत्तमाए होज्जा / 5 / अहवा-दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होजा०जाव अहवा-दो सक्करप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा। 10 / एवं जहा सकरप्पभाए वत्तव्वया भणि-या, तहा सव्वपुढवीणं माणियव्या जाव अहवा-दो तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा / 42 / अहवाएगे रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा / अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा ।१२।०जाव अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा। 5 / अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगपंकप्पभाए होज्जा। अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, एवं०जाव अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे वालुयाए एगे अहे सत्तमाए होजा। 4 / अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होजा०जाव अहवा-एगे रयणप्प- | भाए एगे पंकप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा / 3 / अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होजा। अहवा-एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा।२। अहवाएगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा / 1 / एवं / 15 / अहवा-एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा। अहवा-एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयाए एगे धूमप्पभार होजा। २।०जाव एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे | अहे सत्तमाए होला। 4 / अहवा-एगे सकरप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा० जाव अहवा-एगे संकरप्प-भाए एगे पंकप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा / 3 / अहवा-एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा / अहवा-एगे स-क्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा / 2 / अह-वा-एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा। 10 / अहवाएगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाएएगे धूमप्पभाए होजा। अहवाएगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा / अहवा-एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा।३। अहवाएगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा / अहवा-एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे सत्तमाए होजा।। अहवाएगे वालुयाए एगे तमाए एगे अहे मत्तमाए होजा। 1 / एवं / 6 / अहवा-एगे पंकाए धूमाए एगे तमाए हो। अहवा-एगे पंकाए एगे धूमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा।२४ अहवा-एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा। 1 / एवं / 3 / अहवा-एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा। 1 / 35 / 84 / " तिष्णि भंते ! नेरइए " इत्यादौ चतुरशीतिर्विकल्पाः / तथाहिपृथिवीनामेकत्वे सप्त विकल्पाः। द्विकसंयोगे तु तासागको द्वावित्यनेन नारकोत्पादविकल्पेन रत्नप्रभया सहशेषाभिः क्रमेण चारिताभिर्लब्धाः षट् द्वावेक इत्यनेनाऽपि नारकोत्पादविकल्पेन षडव, तदेते द्वादश। एव शर्कराप्रभया पञ्च पञ्चेति दश / एवं वालुकाप्रभयाऽष्टी, पङ्कप्रभया षट्, धूमप्रभया चत्वारः, तमःप्रभया द्वाविति। द्विकयागे द्विचत्वारिंशत्विकयोगे तु तासां पञ्चविंशद्विकल्पाः , ते चाक्षसञ्चारणगम्याः , देवमेते सर्वे:पि बतुरशीतिरिति। चत्तारि भंते ! णेरझ्या णेरइयपवेसणएणं पवेसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा पुच्छा? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा०जाव अहे सत्तमाए होजा। अहवा-एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होजा / अहवा-एगे रयणप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होजा। एवं०जाव एगे रयणप्पभाए तिण्णि अहे सत्तमाए होज्जा / 6 / अहवा-दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा / एवं०-जाव दो रयणप्पभाए दो अहे सत्तमाए होजा: 6 अहवा-तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होआ। एदं जाव०अहवा-तिण्णि रयणप्पभाए एगे अहे रातमाए होला ! 6 1 18 / अह-वा-एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए हो! एवं जडेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं संचारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयव्वं, एवं एकेक्काए समं चारेयव्वं० जाव अहवा तिणि तमाए