________________ पमायद्वाण 461 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 5 पमायट्ठाण अतालिसे से कुणई पओसं। दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागो // 52|| गंधाणुगाऽऽसाऽणुगए य जीवे, चराचरे हिंसइऽणेगरूवे। चित्तेहिं ते परितावेइ बाले, पीलेइ अत्तट्ट गुरु किलिट्टे / / 53|| गंधाणुवाएण परिग्गहेण, उप्पायणे रक्खणसन्निओगे। वए विओगे य कहं सुहं से, संभोगकाले य अतित्तलाभे? ||5|| गंधे अतित्ते य परिगहे य, सत्तोवसत्तो न उवेइ तुह्रि / अतुट्ठिदोसेण दही परस्स, लोभाऽऽविले आययई अदत्तं / / 5 / / तण्हाऽऽभिभूयस्स अदत्तहारिणो, गंधे अतित्तस्स परिग्गहे य। मायामुसं वड्डइ लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से // 56 / / मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य, पओगकाले य दुही दुरंते। एवं अदत्ताणि समाययंतो, गंधे अतित्तो दुहिओ अणिम्मो // 57 / / गंधाणुरत्तम्म तरस्स एव, कओ सुहं होज्ज कयाइ किंचि? तस्योवभोगे वि किलेसदुक्खं, निव्वत्तई जस्स कए ण दुक्खं / / 58|| एमेव गंधम्मि गओ पआसं , उवेइ दुक्खोहपरंपराओ। पदुद्दचित्तो य चिणाइ कम्म, जं से पुणो होइ दुहं विवागे ||5|| गधे विरत्तो, मणुओ विसोगो, एएण दुक्खोहपरंपरेण! न लिप्पई भवमज्झे वि संतो, जलेण वा पोक्खरिणीपलासं॥६०|| जीहाए रसं गहणं वयंति, तं रागहेउं तु सणुनमाहु। तं दोसहेउं अमणुन्नमाहु, समो य जो तेसु स वीयरागो // 61|| रसस्स जीहं गहणं वयंति, जीहाए रसं गहणं वयंति। रागस्स हेउं समणुन्नमाहु, दोसस्स हेउं अमणुन्नमाहु / / 62 / / रसेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं, अकालियं पावइ से विणासं। रागाउरे वडिसविभिन्नकाए, मच्छे जहा आमिसभोगगिद्धे // 63|| जे यावि दोसं समुवेइ तिव्यं, तंसि क्खणे से उ उवेइ दुक्खं / दुईतदोसेण सएण जंतू, न किंचि रसं अवरज्झई से // 64 // एगंतरत्ते रूइरंसि रसे, अतालिसे से कुणई पओसं। दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागो // 65 / / रसाणुगाऽऽसाऽणुगए य जीवे, चराचरे हिंसइ ऽणेगरूवे। चित्तेहिं ते परितावेइ बाले, पीलेइ अत्तट्ठ गुरु किलिट्टे // 66|| रसाणुवाएण परिग्गहेण, उप्पायणे रक्खणसन्निओगे। वए विओगे य कहं सुहं से संभोगकाले य अतित्तलाभे? ||67 / / रसे अतित्ते य परिग्गहे य, सत्तोवसत्तो न उवेइ तुह्रि। अतुढिदोसेण दुही परस्स, लोभाऽऽविले आययई अदत्तं // 68|| तण्हाऽभिभृयम्म अदत्तवारिसो, रसे अतित्तस्स परिग्गहेय। मयामुसं वड्ढा लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा न विमुचई से // 69 / / मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य, पओगकाले य दुही दुरंते। एवं अदत्ताणि समाययंतो, रसे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो // 7 // रसाणुरत्तस्स नरस्स एवं, कत्तो सुहं होज कयाइ किंचि ? तत्थोक्भोगे वि किलेसदुक्खं, निव्वत्तई जस्स कए ण दुक्खं / / 71 / / रसम्मि एमेव गओ पओसं,