________________ भरह 1400 - अमिधानराजेन्द्रः - भाग 5 भरह - - - मज्झंण सव्वडिबलोववेओ।।३४०।। एवं महाइड्डिपवित्थरेण, कम कमेणं भ गंगणम्मि। पत्तो सयं तो परिपूइऊण, विसज्जिया सेसनरीसदेवा / / 341 / / वीणंसुपट्टे सुयदेयदूस उल्लोयसोहावियसव्वदेसो। विचित्तविच्छित्तिमुभत्तिचित्ते. चवखूभिरामे मणसोऽभिकतो // 342 / / माणिक्कमुत्तामणिपुप्फपुंजो वयारजुत्ते धयचिंधचित्त। सुपुन्नपुग्ने कलसोवसोहे, सुचंदणाभालकओवयारे॥३४३।। सुरिंदमेहोवमंगहसारे, विसे य पासायवरे विसाले। अंतेउर बंधयनायवर्ग, विसजिउंन्हाणघरं विसित्तु // 344 // न्हाए सय बंदणलित्तगत्ते, पवित्तवच्छंसिपसत्थगत्ते। वित्तोवयारं जिणनाधयस्स, भत्तीए पुप्फाइ फलाइएहिं // 345 / / भुंजेइ तो बंधवनाइवग्ग समन्निओऽऽहारवऊववेयं। स भोयणं वंजणभक्खभुज नाणारसहूं बहुमत्तिचित्तं // 346 / / भुचा सुहासेज्ज खणं करित्तु, बत्तीसबद्धाइँ सुनाडयाई। पासायसारोवरिरूढमित्त - सन्नाइबंधूवगएऽइरम्मे॥३४७।। सुहं सुहेणत्थइदेहमाणे, लीलाएँ जा वासरके वि राया। अहन्नया देवनरीसराया, रायाभिसेयं कुणिमो भणंति // 348|| तो पोसह काहिस अट्ठभंते तयावसाणम्मि सुराभिओगा। तेहिं तओ कासि महामहंत, सुमंडवं पीढयर तयते।।३४६॥ वजिंदसारामललोहियक्ख - माणिक्कमुत्ताहलचित्तरम्म / सिंहासणं तत्थुवरि विश्वालं. एमाइ सव्वं पकरिसु देवा / / 350|| ईसाणभागे तिदिसि सुपाण, परंपरागइयसुद्धरम्मे, कओ तए पोसहगेहमज्झ, विणीहरे पुव्वकमेण जाव।।३५१॥ न्हाओ सुई सिंधुररायरूढो, सो राइराईसरमाइजुत्तो विणीहरित्ता वरमंडवंसि, पुटिवल्लसोपाणपरंपराया // 352 // पयाहिणीकट्ट रुहित्तु पच्छा, निसीयई पुव्वमुहो विसालो। सिंहासणे तो नरनाह सवे - सहति सोपाणि अहुत्तरेण / / 353 / / सेणावईवड्डइसत्थवाह, एमाइया इति तहेव तूणं। रुहंति भागेण उ दाहिणेण, महारिह तो अभिओगदेवा // 354|| रायाभिसेयं पवरं विसालं, उव्वट्टचित्ता पकरिति हिट्ठां। पसत्थनक्खत्तमुहत्तवारं, तिहिं निसारे करणे सुजोए।।३५५।। आईएँ बत्तीस नरीसराणां, सहस्सया चारु करेंति रम्म। तो सेन्ननेयाऽऽइसुरावसाणा, भणंति जो देव! सिरं ज्यिाहि / / 356 / / निव्वत्तिउं बारसवच्छरंतो, रायाभिसेयं भरहेसरस्स। तओ अलंकति सुभूसणेहि, सुकप्पवच्छंपियरम्भदेहं।।३५७।। महामहे बारसवच्छरीए, गए गइंदे रुहिउंससेन्नो। महाविभूई बहिन्भवाओ, विसेइ मज्झं से सुमंडवाओ॥३५८।। सम्माणियासेसनरीसदेवो. विसजिओ बंधुजणस्समेओ। सुकम्मजम्मतरुवजिएइ, भुजेइ भोए विउले जहिच्छं।।३५६ / / चक्क सुछत्तं असिदंडए य, गेहम्स सव्वाउहसालजाए। चम्म मणि कागणियं नवावि. सिरी निह णे भरहस्स रण्णो॥३६०|| सुसेणगाहावइवुड्ढराय जाया विणीयाएँ पुरोहिओय। गओय वेयवनगस्स मूले, सेणीऍ इत्थीरयणुत्तराए३६१।। चउद्दसण्ह रयणन्निहीणं, नवण्ह वावत्तरि सप्पुराणं। सहस्सवत्तीस जणव्ययाण, कोडीण गामाण उ छन्नऊए॥३६२|| नवन्नऊदोणमुहस्सहस्सा, चालीसअट्ठाहिय पट्टणाणं। मड़वयाणं चउवीसपुन्ना, सुकव्वडाणं पि तहाऽऽगराणं / / 363 / / सहस्सवीसंसयसोलसत्ते, खेडाण संवाह चउद्दसत्ते। लक्खतरद्दीवगएहि पुन्ना, एगणपन्नाएँ कुरुज्जयाणं // 364 // समुद्दसीम हिमवंतमेरं,