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________________ थावचापुत्त 2404 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 4 थावचापुत्त देवी अग्गकेसे पडिच्छइ सव्वे विपडिग्गहंगहाय सीयं दुरूहंति, / तस्स सेलयस्स अहापवत्तेहिं० जाव मञ्जपाणएण य से रोगायंके अवसेसं तहेव०जाव सामाइयमाइयाइं इक्कारस अंगाई अहिजइ, उवसंते यावि होत्था, हतु० जाव बलियसरीरे जाए ववगयरोबहुहिं चउत्थ०जाव विहरइ। तए णं से सुए सेलगस्स अणगारस्स | गायंके / तएणं से सेलए तम्मि रोगायंकंसि उवसंतंसि समाणंसि ताई पंथगपामुक्खाइं पंच अणगारसयाइं सीसत्ताए वियरइ / तए तेसि विउले असणं पाणं खाइमं साइमं मज्जपाणए य मुच्छिए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइं सेलगपुराओ सुभूमिभागाओ गढिए गिद्धे अज्झोववेन पासत्थे पासत्थविहारी ओसण्णे उजाणाओ पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमइत्ता बहिया जणवय- ओसण्णविहारी कुसीले कुसीलविहारी पमत्ते पमत्तविहारी संसत्ते विहारं विहरइ / तए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइ तेणं संसत्तविहारी उउ-बद्धपीढफलगसेज्जासंथारए पमत्ते यावि अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुटिवं चरमाणे होत्था,नो संचाएति फासुयं एसणिज्जं पीढफलगं पचप्पिणित्ता गामाणुगाम विहरमाणे जेणेव पुंडरीए पव्वए०जाव सिद्धा बुद्धा मंडुयं च रायं आपुच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरित्तए। तए मुत्ता अंतगडा। तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि णं तेसिं पंथग-वजाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अण्णया कयाई य पंतेहि य तुच्छेहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि एगओ सहियाणं० जाव पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं य उण्हे हि य कालाइ-कं ते हि य पमाणाइक्क तेहि य णिचं जागरमाणाणं अयमेयारूवे अब्भत्थिए०जाव समुप्पज्जित्था। एवं पाणभोयणेहि य पयइसुकुमालस्स य सुहोचियस्स सरीरगंसि खलु सेलए रायरिसी चइत्ता रजंजाव पव्वइए, विउलेणं असणं वेयणा पाउन्भूया उज्जला० जाव दुरहियासा, कंडूदाहपित्त पाणं खाइमं साइमं मजपाणए मुच्छिए नो संचाएति० जाव जरपरिगयसरीरे०जाव विहरहा तए णं से सेलए रायरिसीएएणं विहरित्तए, नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया ! समणाणं०जाव रोगायंकेणं सुक्के किसे जाए यावि होत्था / तए णं से सेलए पमत्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कल्लं रायरिसी अण्णया कयाई पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे०जाव जेणेव सेलयं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलगसिज्जासंसुभूमिभागे उजाणे तेणेव विहरइ / परिसा णिग्गया। मंडुओ वि थारयं पचप्पिणित्ता सेलयस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं राया णिग्गओ, सेलयं अणगारं वहति , नमसति, पजुवासति / वेयावचकरं ठवित्ता बहिया अब्भुजाणंजाव विहरित्तए, एवं तएणं से मंडुए राया सेलयस्स अणगारस्स सरीरयं सुक्क भुक्खं संपेहइ, कल्लं जेणेव सेलए रायरिसी तेणेव उवागच्छित्ता सेलयं लुक्खं०जाव सव्वावाहं सरोगं पासइ, पासइत्ता एवं वयासी आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढफलग०जाव पञ्चप्पिणंति, पंथयं अह णं भंते ! तुब्भं अहापवत्तेहिं तिगिच्छिएहिं अहापवत्तेणं अणगारं वेयावचकरं ठावेति, बहिया०जाव विहरंति। तए णं से ओसहभेसज्जभत्तपाणेणं तिगिच्छं आउंटाबेमि, तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, फासुयं एसाणिज्जं पीढफलगसि पंथए अणगारे सेलयस्स रायरिसिस्स सेज्जासंथारउच्चारपाजासंथारयं ओगिण्हित्ता णं विहरह / तए णं से सेलए अणगारे सवणखेलमल्लओसहभेसज्जभत्तपाणए णं अगिलाणविणएणं मंडुयस्स रण्णो एयमढें 'तह' त्ति पडिसुणेइ / तए णं से मंडुए वेयावडियं करेति / तए णं से सेलए रायरिसी अण्णया कयाई राया सेलयं रायरिसिं वंदति, णमंसति, णमंसइत्ता जामेव दिसिं कत्तियचाउम्मासियंसि विपुलं असणं पाणं खाइमं साइम पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए / तए णं से लए रायरिसी आहारमाहरिए सुबहुं च मज्जपाणयं पीए पुव्वावरण्हकालमयंसि कल्लंजाव जलते सभंडमत्तोवगरणमायाए पंथगपामोक्खेहि सुहपसुत्ते / तएणं से पंथए कत्तियचाउम्मासियंसि कयकाउ-- पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुरमणुपविसति, जेणेव स्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिकं ते चाउम्मासियं पडिक्कमणं मंडुयस्स रण्णो जाणसालाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता काउंकामे सेलयं रायरिसिं खामणट्ठयाए सीसे णं पाएसु संघफासुयं पीढंजाव विहरइ / तए णं से मंडुए राया तिगिच्छिए / टेति / तए णं से सेलए रायरिसी पंथएणं सीसे णं पाएसु संघसद्दावेति, सद्दावेतित्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ट्टिए समाणे आसुरुत्ते०जाव मिसिमिसेमाणे उद्देइ, उट्टेइत्ता सेलयस्स रायरिसिस्स फासुयं एसणिज्जंजाव तिगिच्छं एवं बयासी- से केणटेणं भो ! एस अपत्थियपत्थिए०जाव आउंटेह। तए णं ते तिगिच्छिया मंडुएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा परिवजिए, जेणं मम सुहपसुत्तं पाए संघट्टेति? तए णं पंथए हट्टतुट्ठा सेलयस्स रायरिसिस्स अहापवत्तेहिं ओसहभेसज्जभत्त- अणगारे सेलएणं एवं वुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल पाणेहिं तिगिच्छं आउंटेंति, मज्जपाणयं च उवदिसंति / तए णं ] जाव कट्ट एवं बयासी-अहं णं भंते ! पंथए सिस्से कयकाउ
SR No.016146
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1456
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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