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________________ चउसरणगमन १०६०-अभिधानराजेन्द्रः भाग-३ चउसरणगमन कुसलाणवंधुवंधुर-मज्झयणं कित्तइस्सामि ||6 चउसरणगमणदुकड-गरिहासुकडाऽणुमोअणा चेव / एस गणो अणवरयं, कायव्वो कुसलहेउ त्ति / / 10 / / अरिहंतसिद्धसाहू-केवलिकहिओ सुहावहो धम्मो / एए चउरो चउगई-हरणा सरणं लहइ धन्नो // 11 / / अह सो जिणभत्तिभरु-व्वरंतरोमकंचुअकरालो। पहरिसएण उम्मीसं, सीसम्मि कयंजली भणइ / / 12 / / रागद्दोसअरीणं, हंता कम्मट्ठगाइँअरिहंता / वियसकसायारीणं, अरिहंता हुतु मे सरणं // 13 / / रायसिरिमवकसित्त, तवचरणं दुक्करं अणुचरित्ता। केवलिसिरिमरिहंता, अरिहंता हुतु मे सरणं / / 14 // थुइवंदणमरिहंता, अमरिंदनरिंदपूअमरिहंता। सासयसुहमरिहंता, अरिहंता हुतु मे सरणं / / 15 / / परमणगई मुणंता, जोईदमहिदवाणमरिहंता / धम्मकहं च कहता, अरिहंता हुंतु मे सरणं / / 16 / / सटवजिआणमहिसं, अरिहंता सबवयणमरिहता। बंभव्वयमरिहंता, अरिहंता हुंतु मे सरणं / / 17 / / ओसरणमवसरित्ता, चउतीसं अइसए निसेवित्ता। धम्मकहं च कहंता, अरिहंता हुंतु मे सरणं // 15|| एगाइगिराऽणेगे, संदेहे देहिणं समत्थंता / तिहुयगमणुतासंता, अरिहंता हुंतु मे सरणं / / 16 / / वयणामएण भुवणं, निव्वावंता गुणेसु ठावंता। जिअलोअमुद्धरंता, अरिहंता हुतु मे सरणं // 20 // अचन्मुयगुणवंते, नियजस सहरपयाहि पंदंते / निययमणाइअणंते, पडिवज्जे सरणमरिहते // 21|| उज्झियजरमरणाणं, सम्मत्तदुखुत्ततस्स सरणाणं / तिहुयणजणसुहयाणं, अरिहंताणं नमो ताणं / / 22 / / अरिहंतसरणमलसुद्धि, लद्धसुविसुद्ध सिद्धबहुमाणा। पणयसिररइयकरकमल-सेहेरो सहरिसं भणई // 23 // कम्मट्ठक्खयसिद्धा, साहावियनाणदंसणसमिद्धा। सव्वट्ठलद्धसिद्धा, ते सिद्धा इंतु मे सरणं // 24 // तियलोयमच्छरस्था, परमपयत्थ अचिंतसामत्था / मंगलसिद्धपयत्था, सिद्धा सरणं सुहपसत्था / / 25 / / मुक्खे य पडिवक्खा, अमूढलक्खा सजोगिपञ्चक्खा / साहावियत्तमुक्खा, सिद्धा सरणं परमसुक्खा // 26 / / पडिपिल्लियपडिणीया, समग्गझाणग्गिदनुभवीया। जोईसरसारणीया, सिद्धा सरणं सुरणीया / / 27 / / पावियपरमाणंदा, गुणनीसंदा विदिन्नीभवकंदा। लहुईकयरवचंदा, सिद्धा सरणं खवियदंदा // 28 // उवलद्धपरमवंभा, दुल्लहलंभा विमुक्कसंरंभा। भुवणधरधरणखंभा, सिद्धा सरणं निरारंभा // 26|| सिद्धसरणेण नववं-भहेउ साहुगुणजणिअअणुराआ। मेइणिमिलंतसुपस-स्थमत्थ उ तत्थिमं भणइं // 30 // जिअलोअबंधुलोकुसाई, सिंधुणो परगा महाभागा / नाणाइएहि सिवसु-क्खसाहगा साहुणो सरणं // 31 // केवलिलोयरसोही, विउलमई सुयहरा जिणमयम्मि / आयरियउवज्झाया, ते सव्वे साहुणो सरणं // 32 / / भूउदसदसनपुव्वी, दुबालमिक्कारसंगिणो जयई। जिणकप्पाऽहालंदिय-परिहारविसुद्धसाहू य / / 33 / / खीरासवमहुआसव-संमिन्नस्सो अकुट्ठबुद्धी य / चारणवेउव्वियपया-णुसारिणा साहुणो सरणं // 34|| उज्झियवइरविगेहा, नियमदोहापसंतमुहसोहा। अभिमयगुणसंदोहा, हयमोहा साहुणो सरणं // 3 // खंडियसिणेहदामा, अकामधामा निकामसुहकामा / सुपुरिसमणाभिरामा, आयारामा मुनी सरणं // 36 // मिल्हियविसयकसाया, उज्झियघरणिसंगसुहसोया। अकलियदरिसविसाया, साहू सरणं गयपमाया / / 37|| हिंसाइदोससुन्ना, कयकारुन्ना सयंभुकप्पन्ना / अजयामरहरवुन्ना, साहू सरणं सुकयपन्ना ||35|| कामविडंतणवुक्का, कलिमलमुक्का विविहचोरिक्का / पावरयसुगयरिका, साहू गुणरयणचचिका // 36 / / साहू तासु ठिया जं, आयरियाई तअ अ साहू। साहुगहणेण गहिआ, ते तम्हा साहुणो सरणं // 40|| पडिवन्नसाहुसरणो, सरणं काउं पुणो वि जिणधम्मे / पहारे सारामंच, पवंचकंचुअं चियतणू भणइ // 41 // पवरसुकराहिपत्तं, पत्तेहिं वि नवरि कंहि विन पत्तं / तं केवलिपन्नत्तं, धम्म सरणं पवनो हं // 42 // पत्तेणं अपत्तेण य, पत्ताणि य जेण नरसुरसुहाई। मुक्खसुहं पुण तत्तेण, नवरि धम्मो स भे सरणं // 43|| निहालियकलुसकमो-कहलुसुहजम्मो खलीकयअहम्मो / पमुहपरिणामरम्मो, सरणं मे होउ जिणधम्मो // 44|| कालंतरा वि न मयं, जम्मणजरमरणवाहिसयसमयं / अमयं च बहुमयं जिण-मयं च सरणं पवन्नो हं // 45 // पसमियकामपमोहं-दिवादिद्वेसु न कालियविरोहं। सिवसुहफलयमोहं, धम्म सरणं पवन्नो हं / / 46|| नरयगइगमणरोह, गुणसंदोहं पवाइनिक्खोहं। निहणियवम्महलोहं, धम्म सरणं पवन्नो हं // 47 // भासुरसुवन्नसुंदर-रयणालंकारगारवं महयं / निहिमिव दोगचहरं, धम्म जिणदेसियं चंदे // 48|| चउसरणगमणसंचिय-सुचरियरोमं च अंचियसरीरो /
SR No.016145
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1388
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size
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