________________ अग्गमहिसी 173 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 1 अग्गमहिसी गाहावइस्स सूरसिरिए मारियाए सूरप्पमा दारिया सूरस्स अग्गमहिसी ठिती अद्धपलिओवम पंचर्हि वाससएहिं अब्महियं, सेसं जहा कालिए। एवं सेसाओ वि सव्वाओ अक्खुपुरीए नयरीए / सत्तमवग्गो सम्मत्तो ||7|| अट्ठमस्स वग्गस्स उक्खेवो / एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पन्नत्ता / तं जहा-चंदप्पमा दीतिप्पमा अचिमाली पहंकरा / पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेवओ / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पञ्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पमा देवी चदप्पमंसिसीहासणंसि,सेसं जहा कालिए, नवरं पुव्वभवे महुराए नयरीए भंडीवडिंसए उज्जाणे चंदप्पभे गाहावई चंदसिरी भारिया चंदप्पभा दारिआ चंदस्स अम्गमहिसी ठिती अद्धपलिओवमं पन्नास वाससहस्से हिं अब्महियं, सेसं जहा कालीए, एवं सेसाओ वि महुराए नयरीए मायापियरो धुयसिरीनामया / अट्ठमो वम्गो सम्मतो / ज्ञा० 2 श्रु०॥ वैमानिकानां शक्रस्यसक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो पुच्छा० / अज्जो ! अट्ठ अम्गमहिसीओ पण्णत्ताओ / तं जहा-पउमा सिवा सेवा अंजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस 2 देवीसहस्सपरिवारो पण्णत्तो / पमू! णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाई सोलस 2 देवि-सहस्साई परिवार विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देवीसयसहस्सं परिवारो विउवित्तए। से तं तुडिए। म०१० श०५ उ०। उपासकदशाङ्ग टीकायां कामदेववक्तव्यतायामभयदेवसूरिणा अग्रमहिषी परिवारः प्रत्येकं पञ्चसहस्राणि, सर्वमीलने चत्वारिंशत्सहस्राणीति लिखितम् , तचिन्त्यम् / जं०। स्था०। मोगः - पभू ! णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे समाए सुहम्माए सरंसि सीहासणंसि तुडिए णं सद्धि, सेसं जहा चमरस्स, णवरं, परिवारो जहा मोओसिए। शक्रलोकपालानाम् - सक्कस्सणं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ ? पुच्छा / अञ्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ / तं जहा-रोहिणी मदणा चित्ता सोमा / तत्थ णं एग०, सेसंजहा चमरलोगपालाणं,णवरं,सयंपमे विमाणे समाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव, एवं जाव वेसमणस्स, णवरं, विमाणाई जहा तइयसए / म०१० श० 5 उ01 सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो सत्त अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। स्था०७ ठा०। ईशानस्यईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा० / अज्जो ! अट्ठ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। तं जहा- कण्हा कण्हराती रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा / तत्थ णं एगमेगाए०, सेसं जहा सक्कस्स / म०१०श०५ उ० स्था०। ईशानलोकपालानाम् - ईसाणस्स णं मंते ! देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ? पुच्छा०।अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। तं जहा- पुढवी राई रयणी विज्जू। तत्थ णं०, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं / एवं जाव वरुणस्स, णवर, विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं तं चेव जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं / म०१० श०५ उ० / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णचाओ।सकस्स णं देविंदस्स देवस्नो जमस्समहारन्नो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ / स्था० 6 ठा०। ईसाणस्सणं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सत्त अग्गमसीओ पण्णत्ताओ। ईसाणस्सणं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सत्त अम्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। स्था० 7 ठा०। ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारन्नो नव अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ। स्था०६ ठा०। आसां पूर्वभवःनवमस्स उक्खेवो / एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठ अज्झ-यणा पन्नत्ता / तं जहा-पउमा सिवा सुई अंजू रोहिणी नवमिया / इय अचला अपच्छरा, पढमज्झयणस्स उक्खेवओ।। एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं परिसा जाव पञ्जुवासइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमवडिंसए विमाणे समाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणं सि, जहा कालीए, एवं अट्ठ वि अज्झयणे कालीगमएणं नेयव्वा, नवरं, सावत्थिएदो जणीओ हस्थिणाउरे दो जणीओ कंपिल्लपुरे दो जणीओ सासए दोजणीओ। पउमे पियरो विजया मायरो सदाओवि पासस्स अंतिए पव्वइया सक्कस्स अग्गमहिसीओ ठिई सत्तपलिओवमाइं महाविदेहे अंतं काहिति / नवमो वग्गो सम्मत्तो // 6 / / दसमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठ अज्झयणा पन्नत्ता / तं जहा- कण्हा य कण्हराईरामा तहा रामरक्खिया। वसुया वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा चेव / / 1 / / ईसाणे पढमज्झयणस्स उक्खेवओ / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं परिसा पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हा देवी ईसाणे कप्पे कण्हवडिसए विमाणे समाए सुहम्माए कण्हसि सीहासणं सि०, सेसं जहा कालीए / एवं अट्ठ