________________ [प्राकृत] (160) अभिधानराजेन्द्रपरिशिष्टम् 3 / [शब्दरूपावलिः विभक्ति, तृतीया चतुर्थी पञ्चमी एकवचन। उभयेणं, उभयेण। उभयस्स। उभयत्तो, उभयाओ, उभयाउ, उभयाहि, उ-) भयाहिन्तो, उभया। उभयस्स। उभयम्मि, उभयस्सि, उभयत्थ, उभयहिं। हे उभय, हे उभयो, हे उभया। बहुवचन / उभयेहि, उभयेहि , उभयेहि। उभयेसिं, उभयाणं, उभयाण। उभयत्तो, उभयाओ, उभयाउ, उभयाहि, उभयेहि, उभयाहिन्तो, उभयेहिन्तो,उभयेहिन्तो, उभयासुन्तो, उभयेसुन्तो। उभयेसिं, उभयाणं, उभयाण। उभयेसुं, उभयेसु। हे उभये। षष्ठी सप्तमी संबोधनम् तृतीया षष्ठी तत्राकारान्तः पुंल्लिङ्गो 'अन्य' शब्दः। विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा अण्णो / अण्णे। द्वितीया अण्णं। अण्णे, अण्णा अण्णेणं, अण्णेण। अण्णेहि,अण्णेहि, अण्णेहि। चतुर्थी अण्णस्स। अण्णेसिं, अण्णाणं, अण्णाण। पञ्चमी अण्णत्तो, अण्णाओ, अण्णाउ, अण्णाहि, अण्णा-) अण्णत्तो, अण्णाओ, अण्णाउ, अण्णाहि, अण्णेहि, अण्णाहिन्तो, हिन्तो, अण्णा। अण्णेहिन्तो, अण्णासुन्तो, अण्णेसुन्तो। अण्णस्स। अण्णेसिं, अण्णाणं, अण्णाण। सप्तमी अण्णस्सि, अण्णम्मि, अण्णत्थ, अण्णहिं। अण्णेसु, अण्णेसु। संबोधनम् हे अण्ण, हे अण्णो, हे अण्णा। हे अण्णे। तत्राकारान्तः पुंल्लिङ्गः 'कतर' शब्दः। विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा कयरो। कयरे। द्वितीया कयरं। कयरे, कयरा। कयरेणं, कयरेण। कयरेहिं, कयरेहिँ, कयरेहि। कयरस्स। कयरेसिं, कयराणं, कयराण। पञ्चमी कयरत्तो, कयराओ, कयराउ, कयराहि,) कयरत्तो, कयराओ, कयराउ, कयराहि, कयरेहि, कयराहिन्तो, कयराहिन्तो, कयरा। कयरेहिन्तो, कयरासुन्तो, कयरेसुन्तो। कयरस्स। कयरेसिं, कयराणं, कयराण। सप्तमी कयरस्सि,कयरम्मि, कयरत्थ, कयरहिं। कयरेसुं, कयरेसु। संबोधनम् हे कयर, हे कयरो,हे कयरा। हे कयरे। अकारान्तः पुंल्लिङ्गो 'अवर' शब्दः। विभक्ति, एकवचन। बहुवचन। प्रथमा अवरो। अवरे। द्वितीया अवरं। अवरे, अवरा। तृतीया अवरेणं, अवरेण! अवरेहि, अवरेहिँ , अवरेहि। चतुथीं अवरस्स। अवरेसिं, अवराणं, अवराण। पञ्चमी अवरत्तो, अवराओ, अवराउ, अवराहि, अव-) अवरत्तो, अवराओ, अवराउ, अवराहि, अवरेहि, अवराहिन्तो, राहिन्तो अवरा। अवरेहिन्तो, अवरासुन्तो, अवरेसुन्तो। तृतीया चतुर्थी षष्ठी