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________________ (156) अभिधानराजेन्द्रपरिशिष्टम् 3 / [प्राकृत] [शब्दरूपावलिः] बहुवचन। तृतीया चतुर्थी पञ्चमी विभक्ति, एकवचन। द्वितीया अप्पाणं, अप्पं। अप्पणे,अप्पाणो, अप्पे। अप्पाणेणं, अप्पाणेण, अप्पेणं, अप्पेण, अप्पणा,) अप्पाणेहिं, अप्पाणेहिँ, अप्पाणेहि, अप्पेहि, अप्पेहिँ , (अप्पेहि। अप्पणइआ, अप्पणिआ। अप्पाणस्स, अप्पस्स, अप्पणो। अप्पाणाणं, अप्पाणाण, अप्पाणं, अप्पाण। पञ्चमी अप्पाणत्तो, अप्पाणाओ, अप्पाणाउ, अप्पाणाहि.) अप्पाणत्तो, अप्पाणाओ, अप्पाणाउ, अप्पाणाहि, अप्पाणेहि, अप्पाणाहिन्तो, अप्पाणा, अप्पणो, अप्पत्तो, अप्पाणेहिन्तो, अप्पाणाहिन्तो, अप्पाणेसुन्तो, अप्पाणासुन्तो, अप्पाओ, अप्पाउ, अप्पाहि, अप्पाहिन्तो, अप्पा। अप्पत्तो, अप्पाओ, अप्पाउ, अप्पाहि, अप्पेहि, अप्पाहिन्तो, अप्पेहिन्तो, अप्पासुन्तो, अप्पेसुन्तो। षष्ठी अप्पाणस्स, अप्पस्स, अप्पणो! अप्पाणाणं, अप्पाणाण, अप्पाणं, अप्पाण। सप्तमी अप्पाणम्मि, अप्पाणे, अप्पम्मि, अप्पे। अप्पाणेसुं, अप्पाणेसु, अप्पेसुं, अप्पेसु। संबोधनम् हे अप्पाणो, हे अप्पो, हे अप्प / हे अप्पाणो, हे अप्पाणा, हे अप्पा। // अथ सर्वादीनां पुँल्लिने रूपाणि तत्र सर्वशब्दः / / विभक्ति एकवचन। बहुवचन। प्रथमा सव्यो। सव्वे। द्वितीया सव्वं। सव्वे, सव्वा। तृतीया सयेणं, सव्वेण। सव्वेहि, सव्वेहिँ, सव्वेहि। चतुर्थी सव्वस्स। सव्वेसिं, सव्वाणं, सव्वाण। सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहिन्तो,सव्वाहि, सव्वत्तो, सव्वाओ सव्वाउ, सव्वाहि, सव्वेहि, सव्याहिन्तो, सव्वा / सव्वेहिन्तो, सव्वासुन्तो, सव्वेसुन्तो। षष्ठी सव्वस्स। सव्वेसिं, सव्वाणं, सव्वाण। सप्तमी सव्वस्सि, सव्वम्मि, सव्वत्थ, सव्वहिं। सव्वेसु, सव्वेसु। संबोधनम् हे सव्व, हे सव्वो, हे सव्वा। हे सव्वे। तथाऽकारान्तः पुंल्लिङ्गो 'विश्व' शब्दः। विभक्ति एकवचन। बहुवचन। प्रथमा विस्सो। विस्से। द्वितीया विस्सं। विस्से, विस्सा। तृतीया विस्सेणं, विस्सेण। विस्सेहि, विस्सेहि, विस्सेहि। विस्सस्स। विस्सेसिं, विस्साणं, विस्साण। पञ्चमी विस्सत्तो, विस्साओ, विस्साउ, विस्साहि, वि- विस्सत्तो, विस्साओ, विस्साउ, विस्साहि, विस्सेहि, विस्साहितो, स्साहिन्तो, विस्सा। विस्सेहितो, विस्तासुन्तो, विस्सेसुन्तो। षष्ठी विस्सस्स। विस्सेसिं, विस्साणं, विस्साण। सप्तमी विस्सस्सि, विस्सम्मि, विस्सत्थ, विस्सहिं। विस्सेसु, विस्सेसु। संबोधनम् हे विस्स, हे विस्सो, हे विस्सा। हे विस्से। अकारान्तः पुंल्लिङ्ग 'उभय' शब्दः / विभक्ति एकवचन। बहुवचन / प्रथमा उभयो। उभये। द्वितीया उभयं। उभये, उभया। चतुर्थी
SR No.016143
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1078
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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