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________________ पुराण] (२८९) [पुराण नारद वैवस्वतमनु ( सप्तम मनु ) स्वायम्भुव मनु को ब्रह्मा का प्रथम पुत्र माना जाता है जो पृथ्वी के प्रथम सम्राट् थे। वैवस्वत मनु सूर्यवंश के प्रथम राजा थे। इनसे ही चन्द्रवंश एवं सौद्युम्नवंश भी प्रवत्तित हुआ। पुराणों के नाम एवं संख्या-प्राचीनकाल से ही पुराणों की संख्या १८ मानी जाती है। 'देवीभागवत' में आद्य अक्षर के अनुसार पुराणों का नाम इस प्रकार है मद्वयं भद्वयं चैवं त्रयं वचतुष्टयम् । अनापद् लिङ्ग-कू-स्कानि पुराणानि पृथक्-पृथक् ॥ मकारादि में से दो-मत्स्य तथा मार्कण्डेय, भकारादि से दो-भागवत तथा भविष्य । बत्रयम्-ब्रह्म, ब्रह्मवैवत्तं एवं ब्रह्माण्ड । वचतुष्टयम्-वामन, विष्णु, वायु, वाराह, अ-ना-प-लि-ग-कू-स्क-अग्नि, नारद, पम, लिंग, गरुड़, कूर्म एवं स्कन्द । विष्णु एवं भागवत में पुराणों का वर्णन क्रमानुसार हैब्रह्म १० हजार । पम ५५ हजार। विष्णु २३ हजार। शिव २४ हजार। भागवत १८ हजार। २५ हजार । मार्कण्डेय ९हजार। अग्नि १५ हजार ४ सौ। भविष्य १४ हजार ५ सौ। ब्रह्मवैवतं १८ हजार। लिङ्ग ११ हजार। वराह २४ हजार। ८१ हजार। वामन १० हजार। १७ हजार। मत्स्य १४ हजार। गरुड़ १९ हजार। ब्रह्माण्ड १२ हजार। पुराणों का क्रम-विष्णुपुराण में पुराणों का जो क्रम दिया गया है वह बहुसम्मत से मान्य है । सम्प्रदायवेत्ता विद्वानों के अनुसार उक्त पुराण का क्रम साभिप्राय है। पुराण का मुख्य प्रतिपाद्य है सर्ग या सृष्टि जिसका पर्यवसान प्रतिसर्ग या प्रलय के रूप में होता है । इसी तत्त्व के आधार पर पुराणों के क्रम की संगति बैठ जाती है । सृष्टि के लिए ब्रह्म ने ब्रह्मा का रूप धारण किया, अतः वही सृष्टि का मूल है । सूची में ब्रह्मपुराण को प्रथम स्थान आदि कर्ता ब्रह्म के ही कारण दिया गया है। ब्रह्मा के विषय १९ सं० सा० स्कन्द
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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