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________________ ( १९२ ) [ ज्योतिषशास्त्र ww दैवज्ञ, रघुनाथशर्मा, गोविन्ददेवश, विश्वनाथ, विट्ठलदीक्षित आदि नाम अधिक प्रसिद्ध हैं । आधुनिक काल - यवन - साम्राज्य की स्थापना के कारण भारतीय ज्योतिष को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था और मध्ययुग में इसका विकास अवरुद्ध-सा हो गया था । आधुनिक युग में पाश्चात्य सभ्यता के सम्पर्क के कारण भारतीय ज्योतिषशास्त्र में विकास का नवीन चरण प्रारम्भ हुआ और अंगरेजी अनुवादों के द्वारा इसकी नवीन पद्धति विकसित हुई । अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने भारतीय ज्योतिष का अध्ययन किया तथा पाश्चात्य विज्ञान एवं भारतीय ज्योतिष के तुलनात्मक . अध्ययन के भी गम्भीर प्रयत्न किये गए । पाश्चात्य गणितशास्त्र के अनेक ग्रन्थों के अनुवाद. संस्कृत में किये गए और रेखागणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति के ग्रन्थों का. निर्माण किया गया । आधुनिक युग के ज्योतिषशास्त्रियों में बापूदेवशास्त्री तथा पं० सुधाकर द्विवेदी ने मौलिक ग्रन्थों का प्रणयन कर गणित ज्योतिष को समृद्ध किया । इस युग के अन्य ज्योतिषियों में मुनीश्वर, दिवाकर, कमलाकरभट्ट, नित्यानन्द, महिमोदय, मेघगणिविजय, उभयकुशल, लब्धिचन्द्रगणि, बाघजी मुनि, यशस्वतसागर, जगन्नाथ सम्राट् नीलाम्बर झा, सामन्तचन्द्रशेखर, शिवलाल पाठक, परमानन्द पाठक, बालकृष्ण ज्योतिषी, बालगंगाधर तिलक, डॉ० सम्पूर्णानन्द, डॉ० गोरख प्रसाद के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं । भारतीय ज्योतिष के वैज्ञानिक अध्ययन में महाराज सवाई जयसिंह का नाम विशेष आदर के साथ लिया जाता है । इन्होंने जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, वाराणसी एवं मथुरा में वेधशालाओं का निर्माण करा कर ज्योतिषशास्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन का समारम्भ किया था । इन्होंने कई विद्वानों से ज्योतिषविषयक ग्रन्थों का लेखन करवाया तथा स्वयं भी वेध पर छोटा-सा ग्रन्थ लिखा था । भारतीय ज्योतिष के संबंध ज्योतिषशास्त्र ] आधुनिक युग में अनेक प्रकार के अनुसन्धान सम्भव हैं। आशा है, विद्वानों का ध्यान इस शास्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन की ओर जायगा । भारतीय ज्योतिष का गणितपक्ष अभी तक उपेक्षित है । अतः विद्वानों का कर्तव्य है कि शीघ्रातिशीघ्र उसका अनुशीलन कर इस भाग को पुष्ट करें। प्राचीन भारत में अनेकानेक वैज्ञानिक एवं यन्त्रशास्त्रीय ग्रन्थों का निर्माण हुआ था किन्तु काल की गति से ये ग्रन्थ लुप्त हो गये हैं । इस समय इन ग्रन्थों की खोज की जानी चाहिए और उनके वैज्ञानिक अध्ययन का प्रयास होना चाहिए । भारतीय ज्योतिष का साहित्य अत्यन्त प्रौढ़ एवं समृद्ध है । सम्प्रति विद्वानों का व्यान इसके वैज्ञानिक अध्ययन एवं अनुशीलन की और जाना चाहिए । भारतीय ज्योतिष के प्रमुख आचार्यों के परिचय इस कोश में प्रस्तुत किये गए हैं। उनका विवरण उनके नामों के सम्मुख देखना चाहिए । आधारग्रन्थ - १. भारतीय ज्योतिष का इतिहास - डॉ गोरख प्रसाद २. भारतीय ज्योतिष — डॉ० नेमिचन्द्रशास्त्री ३. भारतीय ज्योतिष – पं० शंकर बालकृष्ण दीक्षित ( हिन्दी अनुवाद) ४. संस्कृत साहित्य का इतिहास —कीय ५. संस्कृत साहित्य का इतिहास - श्रीवचस्पति शास्त्री गैरोला ।
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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