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षाण्डिल्य (आचार्य)
अर्हत् परम्परा के युगप्रधान आचार्य। उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनका गोत्र कौशिक था। वी.नि. 306 में उनका जन्म हुआ और वी.नि. 328 में उन्होंने मुनि-धर्म में प्रवेश किया। वी.नि. 376 में वे प्रधानाचार्य और वाचनाचार्य पदों पर प्रतिष्ठित हुए। 108 वर्ष की अवस्था में वी.नि. 414 में उनका स्वर्गारोहण हुआ। ___षाण्डिल्याचार्य ने श्यामाचार्य के पश्चात् संघ का दायित्व संभाला था। हिमवन्त स्थविरावली के अनुसार उनके दो शिष्य थे-आर्य जीतधर और आर्य समुद्र।
पाण्डिल्याचार्य के जीवन दर्शन के सम्बन्ध में प्रचुर सामग्री उपलब्ध नहीं है। पर इतना तो सहज सिद्ध है कि वे अपने समय के एक महान विद्वान और कुशल संघशास्ता आचार्य थे।
-नन्दी स्थविरावली
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- जैन चरित्र कोश ...