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देखकर उसके धैर्य का बांध टूट गया। मुनि ने उसे धर्मोपदेश देकर शान्त किया और बताया कि उसका बड़ा पुत्र चन्द्रयश सुदर्शन नगर का राजा बन गया है तथा उसके नवजात शिशु को मिथिला नरेश पद्मरथ अपना पुत्र मानकर ले गया है। पुत्रों को सुरक्षित जानकर मदनरेखा को सन्तोष हुआ। वह संसार के स्वरूप को देखकर विरक्त बन चुकी थी। वह साध्वी बन गई।
कालान्तर में मदनरेखा का लघु पुत्र मिथिला का राजा बना जो नमि नाम से जग में विख्यात हुआ। किसी समय नमि और चन्द्रयश में परस्पर तलवारें खिंच गईं। उक्त समाचार को जानकर महासती मदनरेखा का मातृहृदय तड़प उठा। वह रणांगण में पहुंची और दोनों भाइयों को उनका परिचय दिया। अपना परिचय जानकर दोनों भाइयों के मध्य उपजा द्वेष नष्ट हो गया। इस तरह रणांगण को प्रेमांगण में बदलकर महासती मदनरेखा अपने उपाश्रय में लौट गई। मदना (आया)
मदना आर्या का समग्र जीवन वृत्त शुंभा आर्या के समान है। विशेषतः जो अन्तर है वह नामों का ही है। मदना आर्या के पिता का नाम मदन गाथापति और माता का नाम मदनश्री था (देखिए-शुभा आया)
-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., द्वि.वर्ग, अध्ययन 5 मदालसा
लंकाधिपति राक्षसराज भ्रमरकेतु की पुत्री, नमस्कार सूत्र और सामायिक की अनन्य अनुरागिका। (देखिएउत्तमकुमार) मद्रुक श्रावक
राजगृह का रहने वाला एक सम्पन्न श्रमणोपासक । वह तीर्थंकर महावीर का परम भक्त, तत्वज्ञ और वादकुशल श्रावक था। एक बार जब वह भगवान महावीर के दर्शनों के लिए जा रहा था तो गुणशील उद्यान के निकट ही स्थित आश्रमों में रहने वाले कालोदायी, शैलोदायी आदि परिव्राजकों ने उसे रोक लिया और धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय आदि के बारे में प्रश्न करके उसकी श्रद्धा को चलित करने का प्रयास करने लगे। पर मद्रक ने कुशलता पूर्वक परिव्राजकों को उत्तर दिए और पुनर्प्रश्न उपस्थित कर उन्हें निरुत्तर भी कर दिया। इससे कालोदायी और शैलोदायी आदि परिव्राजकों के हृदय में भगवान महावीर के प्रवचनों के प्रति उत्सुकता जागी और उसी के परिणामस्वरूप वे परिव्राजक-धर्म का त्यागकर जिनधर्म में दीक्षित हो गए। ___मद्रुक की वाग्कुशलता और प्रवचन-प्रवीणता की प्रशस्ति स्वयं तीर्थंकर महावीर ने अपने श्रीमुख से कही थी। मधु
चतुर्थ प्रतिवासुदेव। उसका वध पुरुषोत्तम वासुदेव ने किया था। (देखिए-पुरुषोत्तम वासुदेव) मनक मुनि
शय्यंभव के पुत्र जो आठ वर्ष की अवस्था में मुनि बने और छह मास का विशुद्ध संयम पालकर देवलोकवासी हुए। इन्हीं मुनि के लिए शय्यंभवाचार्य ने पूर्वो से दशवैकालिक सूत्र का निर्वृहण किया था। (देखिए-शय्यंभव आचार्य) मनोरमा
सुदर्शन सेठ की परम पतिपरायणा पत्नी। (देखिए-सुदर्शन सेठ) ... 416
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