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है। कक्ष में रखे घड़े में पुष्प माला रखी गई है, उसे निकाल लाओ।
सास के अप्रत्याशित व्यवहार को देखकर बुद्धिमती पद्मश्री सावधान हो गई। उसने नवकार महामंत्र का जाप करते हुए घड़े में हाथ डाला। महामंत्र के दिव्य प्रभाव से कृष्णसर्प फूलमाला में बदल गया। उसके सास, श्वसुर और ननद जो इस प्रतीक्षा में थे कि घट को स्पर्श करते ही पद्मश्री सर्प का शिकार बन जाएगी, दंग रह गए। उनके हृदयों की धड़कनें बढ़ गईं। उन्होंने 'चमत्कार' शब्द ही सुना था, चमत्कार को प्रत्यक्ष घटित होते देखकर वे कांप उठे। तत्क्षण पद्मश्री के समक्ष नत हो गए और अतीत के दुर्व्यवहार के लिए क्षमापना करने लगे। श्वसुर ने कांपते स्वर में कहा, पुत्री ! जिनधर्म की विजय हुई। तुम्हारी विजय हुई। तुम्हारी कृपा से आज हमें भी सन्मार्ग का बोध हो गया। हमें क्षमा कर दो।
पद्मश्री अपने कोमल स्वभाव के अनुरूप सास-श्वसुर के चरणों पर झुक गई। घर में स्वर्ग उतर आया। पूरा परिवार जिनधर्म के रंग में रंग गया। परिवार के सभी सदस्य विशुद्ध श्रावक धर्म की आराधना करते हुए सद्गति के अधिकारी बने।
पद्मश्री भी ऊंचे देवलोक में गई। कालक्रम से वह निर्वाण प्राप्त करेगी। पद्मसिंह (पद्मावती)
वसन्तपुर नगर का रहने वाला एक धनवान और धर्मात्मा सेठ। नगर का वह सम्माननीय व्यक्ति था। नगर नरेश प्रजापति भी पद्मसिंह की धर्मनिष्ठा, प्रामाणिकता और बुद्धिमत्ता का विशेष सम्मान करता था। वह राजदरबार में विशिष्ट दरबारी था। युवावस्था मे पद्मसिंह का विवाह पद्मावती नामक रूप-गुण सम्पन्न कन्या से हुआ, जो वसन्तपुर राज्य के महामात्य सुमति की पुत्री थी। पद्मावती भी अपने पति के समान ही धर्मरुचि सम्पन्न सन्नारी थी। पति-पत्नी का पारस्परिक विश्वास और प्रीतिभाव दूज के चन्द्र की भांति निरंतर वर्धमान बनता गया। ____ एक दिन पद्मसिंह और पद्मावती राजोद्यान में भ्रमण के लिए गए। वहां के स्वच्छ और सुगन्धित वातावरण में उन दोनों का मन रम गया। उन्होंने रात्रि-प्रवास वहीं करने का निश्चय किया। पर दुर्दैव के अदृश्य पंजों को वे नहीं देख सके। रात्रि के पश्चिम प्रहर में जब पति-पत्नी निद्राधीन थे तो चपल नामक एक विद्याधर उधर से गुजरा। चाँद की चाँदनी में पद्मावती का रूप देखकर वह उस पर मोहित हो गया। उसने पद्मावती का अपहरण कर लिया।
प्रभात होने पर पद्मसिंह की निद्रा भंग हुई। पद्मावती को न पाकर वह अधीर हो गया। उसने उद्यान और नगर में अपनी पत्नी को खोजा। राजा और मन्त्री ने उसकी पूरी सहायता की। पर पद्मावती को खोजा न जा सका। पद्मसिंह ने पत्नी-विरह में प्राणत्याग का निश्चय कर लिया। पर राजा ने मित्र-धर्म का पालन करते हुए उसे किसी तरह धैर्य बंधाया और उसके दुःसंकल्प को दूर किया। संयोग से नगर में एक अवधिज्ञानी मुनि पधारे। पद्मसिंह की प्रार्थना पर मुनि ने स्पष्ट किया कि उसे एक मास के पश्चात् उसकी पत्नी पुनः प्राप्त होगी। पद्मसिंह धर्माराधनापूर्वक विरहकाल को व्यतीत करने लगा। _____ चपल नामक विद्याधर पद्मावती को वैतादयगिरि पर स्थित अपने नगर में ले गया। उसने विविध प्रलोभन देकर पद्मावती को अपने अनुकूल बनाना चाहा, पर सती के सत को तिलभर भी विचलित करने में वह सफल नहीं हो सका। सती पद्मावती ने उसे कठोर और नीतियुक्त वचनों से सीख दी। आखिर एक मास के सतत श्रम से भी विद्याधर सफल न हो सका तो उसकी अन्तर्चेतना में एक मोड़ आया। पद्मावती ... 324 ...
- जैन चरित्र कोश ....