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तथा धर्माराधना में मन लगाते हुए समय व्यतीत करने लगी। ____उधर द्वारपाल ने नंदयंती के पीहर से लौट कर वहां की कुशलक्षेम से सागरपोत को परिचित कराया
और कहा कि नंदयंती के माता-पिता चाहते हैं कि कुछ समय के लिए उनकी बेटी पीहर आए। सागरपोत ने नंदयंती के निष्कासन की बात द्वारपाल को बताई। द्वारपाल ने समुद्रदत्त की मुद्रिका दिखाते हुए प्रमाणित कर दिया कि उनकी बहू शीलवती है और उस पर मिथ्या आरोप लगाकर उसे दण्डित किया गया है। ___सत्य से परिचित बनकर सेठ सागरपोत गहन पश्चात्ताप में डूब गया। वह अपनी पुत्रवधू को खोजने के लिए घर से निकल गया। कुछ दिन पश्चात् समुद्रदत्त भी विदेश से लौट आया और वस्तुस्थिति से परिचित बनकर वह अधीर बन गया और अपनी पत्नी को खोजने के लिए चल दिया। आखिर पिता-पुत्र भटकते-भटकते भड़ौचनगर पहुंच गए। वहां नंदयंती को सकुशल पाकर उन्हें संतोष हुआ। श्वसुर ने अपनी भूल के लिए पुत्रवधू से क्षमापना की। पिता और पुत्र नंदयंती के साथ अपने नगर लौट आए। ___ कालान्तर में नंदयंती ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होने लगा। एक मुनि से नंदयंती ने श्रावक धर्म अंगीकार किया और जीवन भर निर्दोष श्रावकाचार का पालन कर वह देवलोक में गई। आगे के भवों में वह निर्वाण प्राप्त करेगी।
-शीलोपदेशमाला नंदवती
महाराज श्रेणिक की रानी। इनका परिचय नंदा के समान है। -अन्तकृद्दशांगसूत्र, वर्ग, नंदश्रेणिका महाराज श्रेणिक की रानी। परिचय नंदा के समान है।
-अन्तकृद्दशांगसूत्र, वर्ग, नंदसेना
एक राजकुमारी, जिसका पाणिग्रहण राजकुमार सूरप्रभ (विहरमान तीर्थंकर) से हुआ था। (देखिए-सूरप्रभ स्वामी) (क) नंदा
वाराणसी नगरी के निकटवर्ती ग्राम पलाशकूट के अधिपति अशोक की पत्नी, एक पतिपरायण और गृहकार्यों में निपुण महिला। अशोक के पास एक गोकुल था, जिसमें हजारों गायें थीं। अशोक प्रतिवर्ष एक हजार घृतघट वाराणसी नरेश वृषध्वज को भेंट करता था। गोकुल की रक्षा और संचालन का पूर्ण दायित्व नंदा पर था। नंदा के पास सब था, पर वह निःसंतान थी। नंदा की प्रार्थना पर उसके पति अशोक ने वंशवृद्धि के लिए सुनंदा नामक एक अन्य कन्या से विवाह कर लिया। नंदा ने सुनंदा को छोटी बहिन का सम्मान दिया, पर सुनंदा ने नंदा को अपनी सेविका ही मान लिया। सुनंदा अहं में चूर थी। उसने अपने रूप के बल पर अशोक को अपने वश कर लिया और नंदा के साथ दुर्व्यवहार करने लगी। क्लेश होना स्वाभाविक था ही। गृह-क्लेश को शान्त करने के लिए अशोक ने दोनों पत्नियों को अलग कर दिया और गोकुल के भी दो भाग कर आधी-आधी गायों के पालन का दायित्व दोनों को दे दिया। वह स्वयं सुनंदा के साथ रहने लगा।
सुनंदा की भोगोपभोगों में तो भरपूर रुचि थी पर गोकुल पर उसका कोई ध्यान न था। न वह गायों का ध्यान रखती और न गोपालकों का। परिणाम यह हुआ कि उसकी गाएं कमजोर हो गईं और उनका दूध सूखने लगा। जो दूध निकाला जाता, उसका उपयोग भी ठीक से नहीं हो पाता। अशुद्ध और अस्वच्छ बर्तनों ... 300 am
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