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लिए अपने अनुकूल पत्नी को खोजे । कुमारसेन स्वयं भी यही चाहता था। अपने साथ कुछ चुने हुए कुशल अंगरक्षकों को लेकर कुमारसेन ने देशाटन किया। पर संयोग से उसे उसके अनुकूल कोई कन्या न मिली। निराश होकर वह अपने नगर को लौट चला। मार्ग में विकट वन था। राजकुमार को प्यास लगी। दूर-दूर तक कहीं जल दिखाई न पड़ा। एक दिशा में पहाड़ी पर एक झोंपड़ी दिखाई दी। सैनिक पानी की खोज में झोंपड़ी पर पहुंचे। झोंपड़ी के द्वार पर पहुंचकर सैनिकों ने आवाज देकर पानी मांगा और वस्तुस्थिति कही कि उनके राजकुमार प्यासे हैं। झोंपड़ी के भीतर से एक बाला का स्वर गूंजा, प्यासे को स्वयं कुएं पर जाना होता है, कुआं प्यासे तक नहीं जाता। तुम्हारे राजकुमार से कहो कि वे स्वयं उपस्थित हों। सैनिकों ने लौटकर राजकुमार को सारी बात कही। कुमारसेन में भी कौतूहल जगा और वह झोंपड़ी के द्वार पर पहुंचा। उसके द्वार पर पहुंचते ही एक षोडशी बाला चांदी की जलझारी लिए उसके समक्ष उपस्थित हुई। राजकुमार ने शीतल जल पीकर प्यास शान्त की। वह उस कन्या के रूप को देखकर विस्मित हो गया। उसे लगा कि जैसे उसके समक्ष कोई देवकन्या ही खड़ी है। बाला की बुद्धिपरीक्षा के लिए उससे वार्तालाप शुरू करते हुए राजकुमार ने पूछा, तुम्हारे पिताजी कहां हैं? बाला ने कहा, वे आकाश की बूंद को रोकने का प्रबंध करने गए हैं। राजकुमार ने उसकी माता के बारे में भी वही प्रश्न दोहराया, जिसके उत्तर में बाला ने कहा कि वह एक का दो करने गई हैं। राजकमार कछ समझ न सका। उसने पछा. तम अंदर क्या कर रही थी? बाला ने कहा, मैं एक को पटकनी दे चुकी थी और दूसरी को देने ही जा रही थी कि आप आ गए। बाला ने तीन बातें कही, पर राजकुमार तीनों ही बातों के अर्थ नहीं समझ सका। उसने बाला से उसकी बातों के अर्थ स्पष्ट करने की प्रार्थना की। बाला ने पूछा कि वैसा करने पर उसे क्या पारितोषिक मिलेगा। राजकुमार ने कहा, मैं अपना सर्वस्व तुम्हें अर्पित कर दूंगा। बाला ने कहा, मेरे तीनों ही कथन यूं तो अति साधारण हैं। पर तुम्हारे लिए वे गूढ़ पहेलियां सिद्ध हुए हैं। अतः मैं उन पहेलियों का स्पष्टीकरण तुम्हारे राजदरबार में ही करूंगी। राजकुमार ने बाला की बात स्वीकार कर ली और समय सुनिश्चित कर वह अपने नगर में लौट गया। वह मन ही मन प्रसन्न था कि उसने उस बाला को खोज लिया है, जिसकी उसे वर्षों से तलाश थी। उसने अपने माता-पिता को वस्तुस्थिति से परिचित करा दिया।
___ सुनिश्चित समय पर राजदरबार सजा। वह बाला अपने तेजस्वी माता-पिता के साथ दरबार में उपस्थित हुई। राजा ने बाला से प्रार्थना की कि वह उस द्वारा कही गई पहेलियों के अर्थ स्पष्ट करे। बाला ने कहा, महाराज! मेरी एक शर्त है, यदि उसे आप पूरी करने का वचन दें तो मैं अपनी पहेलियों को स्पष्ट करूं । राजा बाला के रूप और वाग्चातुर्य से प्रभावित था। उसने वचन दे दिया। उसके बाद बाला ने अपनी पहेलियां स्पष्ट की। उसने कहा, मेरा प्रथम उत्तर था कि मेरे पिता आकाश की बूंद रोकने का प्रबंध करने गए हैं। इसका अर्थ सहज ही है। हम घास की झोंपड़ी में रहते हैं। वर्षा ऋतु आने वाली है और हमारी झोपड़ी में स्थान-स्थान पर छिद्र हैं। मेरे पिता उन छिद्रों को बंद करने के लिए जंगल से घास और बांस लेने गए थे। दूसरी बात-जैसा कि मैंने कहा मेरी मां एक का दो करने गई हैं। इसका अर्थ था, हमारे घर में घरट्टिका नहीं थी, इसलिए मेरी मां मूंग व चने की दाल बनाने के लिए दूसरों के घर गई थी। तृतीय उत्तर था कि मैं झोंपड़ी में एक को पटकनी दे चुकी हूं और दूसरी को देने वाली हूं। स्पष्ट है कि मैं रोटी बना रही थी। एक रोटी को मैं पलट चुकी थी और दूसरी को पलटने ही वाली थी कि राजकुमार झोंपड़ी द्वार पर उपस्थित हो गए।
__बाला के समाधानों से राजा, राजकुमार और उपस्थित सभासद मुग्ध हो गए। तब राजा ने बाला से उसकी शर्त पूछी। बाला ने कहा, मेरी शर्त यह है कि राजकुमार कुमारसेन कुसुमपुर के राज्य को जीतकर आएं। ... 108
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