SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 396
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFAYENE,P {917) एसणणिक्खेवादाणिरियासमिदी तहा मणोगुत्ती। आलोयभोयणं विय अहिंसाए भावणा होंति ॥ (भग. आ. 1200) एषणा समिति, आदान निक्षेपण समिति, ईर्यासमिति, मनोगुप्ति और आलोक-भोजन (रात्रिभोजन-त्याग)- ये पांच अहिंसाव्रत की भावनाएं हैं। 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {918) तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति। तत्थिमा पढमा भावणा-इरियासमिते से मणिग्गंथे, णो अणरियासमिते त्ति। केवली बूया- इरियाअसमिते से णिग्गंथे पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताई अभिहणेज वा वत्तेज वा परियावेज वा लेसेज वा उद्दवेज वा। इरियासमिते से मणिग्गंथे, णो इरियाअसमिते त्ति पढमा भावणा। (आचा. 2/15/ सू. 778) उस प्रथम अहिंसा महाव्रत से सम्बन्धित पांच भावनाएं होती हैं- उसमें से पहली 卐 भावना यह है- निर्ग्रन्थ ईर्यासमिति से युक्त होता है, ईर्यासमिति से रहित नहीं। केवली भगवान् कहते हैं- ईर्यासमिति से रहित निर्ग्रन्थ प्राणी, भूत, जीव, और सत्त्व का हनन करता है, उन्हें धूल आदि से ढकता है, दबा देता है, परिताप देता है, चिपका देता है, या पीड़ित करता है। इसलिए निर्ग्रन्थ ईर्यासमिति से युक्त होकर रहे, ईर्यासमिति से 卐 रहित हो कर नहीं। यह प्रथम भावना है। 1919) ___ अहावरा दोच्चा भावणा-मणं परिजाणति से णिग्गंथे,जे य मणे पावए सावजे सकिरिए अण्हयकरे छेदकरे भेदकरे अधिकरणिए पादोसिए पारिताविए पाणातिवाइए ॐ भूतोवघातिए तहप्पगारं मणं णो पधारेजा। मणं परिजाणति से णिग्गंथे, जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा। (आचा. 2/15/ सू. 778) अहिंसा महाव्रत से सम्बन्धित दूसरी भावना यह है-मन को जो अच्छी तरह जानता की है, वह निर्ग्रन्थ है। जो मन पापकर्ता, सावद्य (पाप से युक्त) है, क्रियाओं से युक्त है, कर्मों में REFERENEFFEEEEEEEEEEEEEEEEEEET [जैन संस्कृति खण्ड/B68
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy