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________________ {18) अहिंसाऽपि भावरूपैव, तेन प्राणिरक्षणमप्यहिंसाशब्दार्थ: सिद्ध्यति। ___ [दशवै. आचारमणिमञ्जूषा टीका, भा. 1, पृ.3] 'अहिंसा' भावरूप (विधेयात्मक स्वरूप वाली) भी है, अतः 'अहिंसा' शब्द का अर्थ 'प्राणि-रक्षा' भी सिद्ध होता है। (19) दयामूलो भवेद् धर्मो दया प्राण्यनुकम्पनम्। दयाया:परिरक्षार्थं गुणाः शेषाः प्रकीर्तिताः॥ धर्मस्य तस्य लिङ्गानि दमः क्षान्तिरहिंस्रता। तपो दानं च शीलं च योगो वैराग्यमेव च ॥ (आ. पु. 5/21-22) __धर्म वही है जिसका मूल दया हो, और सम्पूर्ण प्राणियों पर अनुकम्पा करना दया है। इस दया की रक्षा के लिए ही उत्तम क्षमा आदि शेष गुण कहे गये हैं। इन्द्रियों का दमन करना, क्षमा धारण करना, हिंसा नहीं करना, तप, दान, शील, ध्यान और वैराग्य- ये उस ॐ दयारूप धर्म के चिह्न हैं। 的听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 (20) अहिंसा= जीवदया, प्राणातिपात-विरतिः। [दशवै.(समयसुन्दर कृत) दीपिका टीका, पृ.1] 'अहिंसा' का अर्थ है- 'जीव-दया' तथा 'जीवों के प्राणातिपात (वध) से विरति'। {21) धर्मः प्राणि-दया स्मृता। (प.पु. 26/64; ह.पु. 17/164) प्राणियों के प्रति दया भाव रखना 'धर्म' है। על ייפויפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפהפפםפםפםפםפםפםפםפםפםפרלמנטרנט अहिंसा-विश्वकोश/7]
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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