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________________ FFFFFFFF अहिंसाः सनातन धर्म {22) 明明明明明明明明明明 अहिंसा सत्यवादित्वमचौर्यं त्यक्तकामता। निष्परिग्रहता चेति प्रोक्तो धर्मः सनातनः॥ (आ. पु. 5/23) अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और 'परिग्रह का त्याग' करना- ये सब सनातन 卐 (अनादिकाल से चले आये) धर्म कहलाते हैं। FO अहिंसाः परम/उत्कृष्ट धर्म (23) अहिंसा परमो धर्मः, स्यादधर्मस्तदत्ययात्। (लाटी संहिता, 1/1, श्रा.सं. III/1 अहिंसा परम (श्रेष्ठ) धर्म है, और 'हिंसा' अधर्म है। 型弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱 (24) सव्वाओ वि नईओ, कमेण जह सायरम्मि निवडंति। तह भगवई अहिंसा, सव्वे धम्मा समिल्लति ॥ (संबोधसत्तरी 6) जिस तरह सभी नदियां अनुक्रम से समुद्र में आकर मिलती हैं, उसी प्रकार महाभगवती 卐 अहिंसा में सभी धर्मों का समावेश होता है। सव्वो हि जहायासे लोगो भूमीए सव्वदीउदधी। तह जाण अहिंसाए वदगुणशीलाणि तिळंति ॥ ___ (भग. आ. 785) जैसे ऊर्ध्वलोक, अधोलोक, और मध्यलोक के भेद से सब लोक आकाश पर आधारित हैं और सब द्वीप और समुद्र भूमि पर आधारित हैं, वैसे ही व्रत, गुण और शील अहिंसा पर आधारित रहते हैं। [जैन संस्कृति खण्ड/8
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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