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________________ {494) %% %%%%%% 5555555555%%%%%%%%%%%%%%%%%%% __अहो य राओ य परितप्पमाणे कालाकालसमुट्ठायी संजोगट्ठी अट्ठालोभी 5 आलुपे सहसक्कारे विणिविट्ठचित्ते एत्थ सत्थे पुणो पुणो। से आतबले, से णातबले, से मित्तबले, से पेच्चबले, से देवबले, से रायबले, से चोरबले, से अतिथिबले, से किवणबले, से समणबले, इच्चेतेहिं विरूवरूवेहिं कजेहिं म दंडसमादाणं सपेहाए भया कजति, पावमोक्खो त्ति मण्णमाणे अदुवा आसंसाए। ' (आचा. 1/2/2 सू. 72-73) (जो विषयों से निवृत्त नहीं होता) वह रात-दिन परितप्त रहता है। काल या अकालम 卐 में (धन आदि के लिए) सतत प्रयत्न करता रहता है। विषयों को प्राप्त करने का इच्छुक होकर वह धन का लोभी बनता है। चोर व लुटेरा बन जाता है। उसका चित्त व्याकुल व चंचल बना रहता है, और वह पुनः-पुनः शस्त्र-प्रयोग (हिंसा व संहार) करता रहता है। वह आत्म-बल (शरीर-बल), ज्ञाति-बल, मित्र-बल, प्रेत्य-बल (पर-लोक में 卐 सुख पाने), देव-बल (देवताओं की तुष्टि), राज-बल, चोर-बल, अतिथि-बल, कृपण बल, और श्रमण -बल का संग्रह करने के लिए अनेक प्रकार के कार्यों (उपक्रमों) द्वारा दण्ड (हिंसा)का प्रयोग करता है। कोई व्यक्ति किसी कामना से (अथवा किसी अपेक्षा से) एवं कोई भय के कारण हिंसा आदि करता है। कोई पाप से मुक्ति पाने की भावना से (यज्ञ卐 बलि आदि द्वारा) हिंसा करता है। कोई किसी आशा-'अप्राप्त को प्राप्त करने की लालसा 卐 से हिंसा-प्रयोग करता है। {495) सिया तत्थ एकयरं विप्परामुसति छसु अण्णयरम्मि कप्पति।सुहट्ठी लालप्पमाणे सएण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेति। सएण विप्पमाएण पुढो वयं पकुव्वति जंसिमे 卐 पाणा पव्वहिता। (आचा. 1/2/6 सू. 95-96) कदाचित् (वह प्रमाद या अज्ञानवश) किसी एक जीवकाय का समारंभ करता है, है तो वह छहों जीव-कायों (में से किसी का भी या सभी) का समारंभ कर सकता है। वह ॥ ॐ सुख का अभिलाषी, बार-बार सुख की इच्छा करता है, (किन्तु) स्व- कृत कर्मों के कारण, (व्यथित होकर) मूढ बन जाता है और विषयादि सुख के बदले दुःख को प्राप्त करता है। वह-(मूढ) अपने अति प्रमाद के कारण ही अनेक योनियों में भ्रमण करता है, जहां पर कि ॐ प्राणी अत्यन्त दुःख भोगते हैं। [जैन संस्कृति खण्ड/214
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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