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________________ (396) FEEFENFIELESENTERNEYFIYEYFYFIFIYE SEVEAFFYFYFYFYEHEHEYELFYFIS5 जह परमण्णस्स विसं विणासयं जह व जोव्वणस्स जरा। तह जाण अहिंसादी गुणाण य विणासयमसच्चं ॥ (भग. आ. 839) जैसे विष उत्तमोत्तम भोजन का विनाशक है और बुढ़ापा यौवन का विनाशक है, वैसे ही असत्य वचन अहिंसा आदि गुणों का विनाशक है। O हिंसात्मक प्राणी-पीड़ाकारी वचन: असत्य (3971 सदर्थमसदर्थं च प्राणिपीडाकरं वचः। असत्यमनृतं प्रोक्तमृतं प्राणिहितं वचः॥ (ह. पु. 58/130) विद्यमान अथवा अविद्यमान वस्तु को निरूपण करने वाला जो वचन प्राणियों को पीड़ित करने वाला होता है तो वह 'असत्य' अथवा अनृत वचन कहलाता है। इसके 卐 विपरीत, जो वचन प्राणियों का हित करने वाला है, वह 'ऋत' (अथवा सत्यवचन) 卐 कहलाता है। 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听 {398) छेदनभेदनमारणकर्षणवाणिज्यचौर्यवचनादि। तत्सावा यस्मात्प्राणिवधाद्याः प्रवर्तन्ते॥ ____ (पुरु. 4/61/97) किसी जीव के छेदन, भेदन, मारण, घसीटने आदि की प्रेरणा देने वाले तथा : (हिंसक) व्यापार एवं चोरी में प्रवृत्ति कराने वाले जो वचन हैं, वह सब पापयुक्त वचन हैं, ॐ क्योंकि वे प्राणी-हिंसा आदि पापों में प्रवृत्त कराते हैं। 1399) कोवाकुलचित्तो जं संतमवि भासति, तं मोसमेव भवति। (दशवै. चू.7) ___ क्रोध (हिंसात्मक मनोवृत्ति) से क्षुब्ध हुए व्यक्ति का सत्य भाषण भी असत्य ही है। ERESEREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERENT अहिंसा-विश्वकोश।1771 %
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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