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________________ SURE S HEETURGESTERESEREEEEEEEEEEEEEma का दैनिक जीवन में सम्भावित हिंसा : अपेक्षित सावधानी (हिंसा का सरात साधनःसावध वचन) Oहिंसा की शाब्दिक अभिव्यक्तिः असत्य भाषण {394} सर्वस्मिन्नप्यस्मिन्प्रमत्तयोगैकहेतुकथनं यत्। अनृतवचनेऽपि तस्मानियतं हिंसा समवतरति ॥ (पुरु. 4/63/99) चूंकि सभी (असत्य) वचनों में वक्ता का आन्तरिक प्रमाद/कषाय कारण रूप में विद्यमान रहता है- ऐसा कहा गया है, इसलिए असत्य वचनों से 'हिंसा' निश्चित रूप म होती है (ऐसा मानना चाहिए)। 中55555555555%弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱 (अहिंसा की श्रेष्ठता का अवरोधक/विनाशक: असत्य भाषण) (395) अहिंसावतरक्षार्थं यमजातं जिनैर्मतम्। नारोहति परां कोटिं तदेवासत्यदूषितम्॥ (ज्ञा. 9/2/532) जिनेन्द्र भगवान् ने जो यमनियमादि व्रतों का समूह कहा है, वह एक मात्र ॐ अहिंसा व्रत की रक्षा के लिए ही कहा है। क्योंकि अहिंसा व्रत यदि असत्य वचन से दूषित हो तो वह उत्कृष्ट पद को प्राप्त नहीं होता (अर्थात् असत्य वचन के होने से + अहिंसा-व्रत पूर्ण नहीं होता)। REFEREFREEEEEEEEEEEEEEEN [जैन संस्कृति खण्ड/176
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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