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________________ 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 जैसे कोई पुरुष ग्राम, नगर, खेड, कब्बड, मंडप, द्रोण-मुख, पत्तन, आश्रम, सन्निवेश, निगम अथवा राजधानी पर घात के समय किसी चोर से भिन्न (अचोर) को चोर समझ कर क मार डाले तो वह दृष्टिविपर्यासदंड कहलाता है। इस प्रकार जो पुरुष अहितैषी या दंड्य के 卐 भ्रम से हितैषी जन या अदंड्य प्राणी को दंड दे बैठता है, उसे उक्त दृष्टिविपर्यास के कारण क का सावद्यकर्मबंध होता है। इसलिए इसे दृष्टिविपर्यास दंडप्रत्ययिक नामक पंचम क्रियास्थान . बताया गया है। (294) अहावरे छट्ठे किरियाठाणे मोसवत्तिए त्ति आहिज्जति । से जहानामए केइ पुरिसे आहे नाउं वा अगारहेउं वा परिवारहेठं वा सयमेव मुसं वयति, वि सं वदावेति, मुसं वयंतं पि अण्णं समणुजाणति, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजे क त्ति आहिज्जति, छट्ठे किरियाठाणे मोसवत्तिए त्ति आहिते । 筆 馬 筑 अण्ण (सू.कृ. 2/2/ सू. 700) छठा क्रियास्थान मृषाप्रत्ययिक कहलाता है। जैसे कि कोई पुरुष अपने लिए, ज्ञातिवर्ग के लिए, घर के लिए अथवा परिवार के लिए स्वयं असत्य बोलता है, दूसरे से (295) अहावरे सत्तमे किरियाठाणे अदिण्णादाणवत्तिए त्ति आहिज्जति । से जहाणामए 步 केइ पुरिसे आहे वा जाव परिवारहेडं वा सयमेव अदिण्णं आदियति, अण्णेण वि असत्य बुलवाता है, तथा असत्य बोलते हुए अन्य व्यक्ति का अनुमोदन करता है; ऐसा करने के कारण उस व्यक्ति को असत्य प्रवृत्ति-निमित्तक पाप (सावद्य) कर्म का बंध होता है। इसलिए यह छठा क्रियास्थान मृषावादप्रत्ययिक कहा गया है। 筆 अदिण्णं आदियावेति, अदिण्णं आदियंतं अण्णं समणुजाणति, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जे त्ति आहिज्जति, सत्तमे किरिया ठाणे आदिण्णादाणवत्तिए त्ति आहिते । (सू.कृ. 2 / 2 / सू. 701 ) अपनी जाति के लिए तथा अपने घर और परिवार के लिए अदत्त - वस्तु के स्वामी के द्वारा $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 筑 馬 सातवां क्रियास्थान अदत्तादानप्रत्ययिक कहलाता है। जैसे कोई व्यक्ति अपने लिए, प ग्रहण करते हुए अन्य व्यक्ति का अनुमोदन करता है, तो ऐसा करने वाले उस व्यक्ति को अदत्तादान-सम्बन्धित सावद्य (पाप) कर्म का बंध होता है। इसलिए इस सातवें क्रियास्थान को अदत्तादानप्रत्ययिक कहा गया है। 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐將講過 卐 卐 न दी गई वस्तु को स्वयं ग्रहण करता है, दूसरे से अदत्त को ग्रहण कराता है, और अदत्त 卐 अहिंसा - विश्वकोश । 135] 卐 卐 卐 卐
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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