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________________ SEXAAAAEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE हिंसकः पृथ्वी पर भारभूत {144} ये मिथ्यावादिनस्तात दयासत्यविवर्जिताः। निन्दका गुरुदेवानां तेषां भारेण पीड़िता॥ जीवघाती गुरुद्रोही ग्रामयाजी च लुब्धकः।। शवदाही शूद्रभोजी तेषां भारेण पीड़िता॥ (ब्र.वै.पु. 4/4/23,26) (पृथ्वी माता का प्रजापति को कथन-) हे तात! जो मिथ्याभाषी (झूठे), दयासत्य से हीन तथा गुरु व देवों की निन्दा करने वाले हैं, उन लोगों के भार से मैं पीड़ित रहती है हूँ। जीव-हिंसक, गुरुद्रोही, गाँव-गाँव यज्ञ कराने वाला, कसाई, शूद्रों के शव का दाह और ॥ उनका अन्न-भोजन करने वाला -इन लोगों के भार से मैं पीड़ित हो रही हूँ। 天兵兵兵兵兵兵兵妮妮妮妮頻頻折纸坎听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 अहिंसक आचरणः पुण्यात्माओं/संत महात्माओं की पहचान {145} दया भूतेषु संवादः परलोकप्रतिक्रिया॥ सत्यं भूतहितार्थोक्तिर्वेदप्रामाण्यदर्शनम्। गुरु-देवर्षि-सिद्धर्षिपूजनं साधुसङ्गमः॥ सत्क्रियाभ्यसनं मैत्रीमिति बुध्येत पण्डितः। अन्यानि चैव सद्धर्मक्रियाभूतानि यानि च॥ स्वर्गच्युतानां लिङ्गानि पुरुषाणामपापिनाम्। (मा.पु. 15/43-45) भूतदया, प्रेमालाप, परलोक के सुख के लिये सत्कर्म, सत्यवादिता,प्राणिकल्याण के लिये जनोपदेश, वेद के प्रामाण्य पर विश्वास, गुरुसेवा, देवपूजा, ऋषिपूजा, सिद्धसेवा, ' सत्सङ्ग, सद्धर्मानुष्ठान, मैत्री भाव तथा अन्य सद्धर्माचरण-सम्बन्धी क्रियाकलाप ऐसे चिह्न के हैं, जिनके द्वारा यह जाना जाता है कि ऐसा करने वाले लोग धर्मात्मा हैं और स्वर्ग से ' ॐ भूलोक पर आये हैं। %%%%%%%%%%% % % %%%%% % 第一男男男男男弱%%% वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/42
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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