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________________ % % %%% % %%%%% %%%%% % %%% %% %% %%%%%% {132} ये नरा इह जन्तूनां वधं कुर्वन्ति वै मृषा। ते रौरवे निपात्यन्ते भियंते रुरुभीरुषा॥ यः स्वोदरार्थे भूतानां वधमाचरति स्फुटम्। महारौरवसंज्ञे तु पात्यते स यमाज्ञया॥ ___ (प.पु. 5/48/11-12) जो लोग इस लोक में निरर्थक प्राणि-वध करते हैं, वे 'रौरव' नरक में जाते है और # 'रुरु' प्राणियों के भयानक क्रोध से छिन्न-भिन्न होते हैं। जो अपने पेट को भरने के लिए प्राणियों का वध करता है, वह यम की आज्ञा से महारौरव नरक में डाल दिया जाता है। 听乐听听听听听听乐乐听听玩玩乐乐¥%%%贝听听听听听听听听听听听听听听听听听坎玩乐明明听听听听 {133} कर्मणा मनसा वाचा परपीडां करोति यः। तद् बीजं जन्म फलति, प्रभूतं तस्य चाशुभम्॥ (वि.पु. 1/19/6) जो व्यक्ति मन, वचन तथा कर्म से दूसरों को पीड़ा पहुंचाता है- इसके कारण उस व्यक्ति को अनेक अशुभ जन्म लेने और भोगने पड़ते हैं। 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听垢听听听听听听听听听听界 {134} भूतद्रोहं विधायैव केवलं स्वकुटुम्बकम्। पुष्णाति पापनिरतः सोऽन्धतामित्रके पतेत्॥ (प.पु. 5/48/10) जो व्यक्ति प्राणियों से द्रोह कर केवल पाप-कार्यों में उद्यत होता हुआ अपने कुटुम्ब ॐ का भरण-पोषण करता है, वह अन्धतामिस्र नरक में जाता है। {135} अस्ति देवा अंहोरुर्वस्ति रत्नमनागसः। (ऋ. 8/67/7) देवों! (विद्वानों) पापशील हिंसक को महापाप होता है, और अहिंसक धर्मात्मा को म अतीव दिव्य श्रेय (सुकृत) की प्राप्ति होती है। 第二%%%%%%%%% % %%%%%%% %%%%%%% % % अहिंसा कोश/39]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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